एनआईटी के 3 छात्रों ने मक्के के आटे से बनाया प्लास्टिक

सामान्य प्लास्टिक से सस्ता और साल भर में नष्ट होने का दावा
रायपुर : छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के 3 छात्रों ने ऐसी प्लास्टिक का आविष्कार किया है, जो 100 फीसदी बायोडिग्रेडेबल यानी कि नष्ट होने वाला है। आमतौर पर सिंगल यूज प्लास्टिक को नष्ट होने में 100 साल लगते हैं। वहीं, यह महज एक साल में नष्ट हो जाएगा। इसे रिसाइकिल कर प्रयोग में भी लाया जा सकता है। ऐसे में यह सिंगल यूज प्लास्टिक का भी बेहतर विकल्प साबित हो सकती है। इस ईजाद के लिए एनआईटी में हुए ‘पुकार गो ग्रीन फेस्ट’ में छात्रों को प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया है।


छात्र निखिल वर्मा, कृष्णेंदु और निहाल पांडे ने इस प्लास्टिक को मक्के के आटे (स्टार्च) में ग्लसरीन और बेलेगर को मिलाकर बनाया है। यानी कि इसे अगर बाहर फेंक भी दें तो इससे न तो पर्यावरण को नुकसान है और न जानवरों को। इनका दावा है कि इसकी लागत मौजूदा प्लास्टिक से काफी कम है।
3 माह में इसे तैयार किया, लैब के परीक्षणों में पास
छात्रों ने बताया कि उन्हें इसे बनाने में तीन महीने का वक्त लगा। इसके बाद लैब में परीक्षण किया गया, जिसमें यह परीक्षण सफल  रहा। छात्र निखिल वर्मा बताते हैं कि हमने इसे प्रतियोगिता के लिए तैयार किया था, लेकिन अब हम इसे आगे ले जाएंगे और बाजार में लाएंगे।

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