किसी को अपना दिल न तोड़ने दें

जब कोई इच्छा आपके अन्दर रहती है और प्रतिभा सोयी रहती है तो वह मरती नहीं, बस सामने आने का मौका तलाशती है। बस आपको अपनी इस प्रतिभा की कद्र करने की जरूरत है और सुप्रीता सिंह ने यही किया। सुप्रीता जानती थीं कि उनको लिखना अच्छा लगता है और उनको लिखना है मगर उनको यह भी पता था कि उनको शौक के साथ काम को लेकर चलना है। पत्रकारिता और हॉस्पिटैलिटी से होकर बतौर जनसम्पर्क विशेषज्ञ उन्होंने लम्बा समय गुजारा, अभी भी सक्रिय हैं मगर अब उन्होंने वह किया जो वह हमेशा से करना चाहती थीं, सुप्रीता की पहली किताब ग्रेस प्रकाशित हो चुकी है। इस खूबसूरत यात्रा के किस्से उन्होंने शुभजिता से साझा किये, पेश हैं प्रमुख अंश –
बचपन से जानती थी कि मुझे लिखना है
मुझे बचपन से ही पढ़ना अच्छा लगता था। लिखने का भी शौक बचपन से ही था। अंग्रेजी में एम.ए किया जिसके बाद मुझे दृक में काम मिला और यहाँ मेरा काम था लिखना। प्रोजेक्ट प्रोपोजल लिखती थी और मेरा काम काम कम्यूनिकेशन यानी सम्पर्क से जुड़ा था। वह करते -करते मैं भारत एक साल थी और फिर मैंने बांग्लादेश में भी काम किया। इसके बाद टाइम्स ऑफ इंडिया में मुझे काम मिल गया। यहाँ मैं ढाई साल तक रही। पत्रकारिता की और अंग्रेजी के दो बड़े अखबारों के साथ काम किया और इसके बाद मेरा कार्यक्षेत्र बदला और मैं हॉस्पिटैलिटी के क्षेत्र में आ गयी। एस्टर, पार्क होटल और ऐस्टर होटल के बाद पी आर और जनसम्पर्क के क्षेत्र में आ गयी और अब मेरी अपनी कम्पनी है। इन सब के बावजूद लिखने की चाह बची रही।
लोगों से मिलना मुझे प्रेरणा देता है
लोगों से मिलना और नये विचार साझा करना मुझे हमेशा से अच्छा लगता था मगर मुझे रचनात्मक लेखन करना था। मेरा बचपन से यही सपना था कि मैं कोई किताब लिखूँ समय लगा क्योंकि लिखने में समय लगता है क्योंकि मुझे काम भी करना है क्योंकि यही मेरी रोजी -रोटी है मगर इसके बीच में से ही मैं समय निकालकर या यूँ कहूँ कि चुराकर लिखती रही और अब इसका परिणाम मेरी पहली किताब ग्रेस के रूप में सामने है।
अनुभवों से कहानी कहने में मदद मिली
यह मेरा पहला उपन्यास है जो एक रोमांटिक फिक्शन है। पूरा उपन्यास एक रात की कहानी है और संवाद शैली में लिखा गया है। इसे लिखने में मेरे जनसम्पर्क और पत्रकारिता के अनुभवों से भी काफी मदद मिली है। अच्छी बात है कि लोग इसे पसन्द भी कर रहे हैं। हर उम्र के लोग इसे पसन्द कर रहे हैं। यह एक लड़की की कहानी है जो अलग -अलग लोगों से मिलती है और वे उसे काफी प्रभावित करते हैं और यह किताब झटपट खत्म हो जाती हैं। इसमें थोड़ा सा मेरा अनुभव है मगर इससे पाठक एक तारतम्य स्थापित कर सकते हैं और यह दिल से निकला है।
पहला प्यार तो पत्रकारिता ही है
मुझे हर वह काम पसन्द है जिसमें मुझे लिखने का मौका मिले। पत्रकारिता मुझे सबसे अधिक प्रिय है और वही मेरा पहला प्यार है। मैं खुद को बहुत भाग्यशाली महसूस करती हूँ। पत्रकार और जनसम्पर्क विशेषज्ञ के नाते कई कहानियाँ सुनी हैं। कई लोगों से मिलती रही तो लोगों से मिलना मुझे लिखने की प्रेरणा देता है। पत्रकारिता मेरा पहला प्यार है।
अपनी आय पर महिलाओं का नियंत्रण होना चाहिए
महिलाओं को हर क्षेत्र में मौका मिलना चाहिए और उसे निर्णायक पदों पर आना जरूरी है। मेरा मानना है कि महिलाओं को आर्थिक तौर पर स्वतन्त्र जरूर होना चाहिए। अपनी आय पर जब आपका नियन्त्रण होता है तो आप आजादी से अपने फैसले ले सकती हैं। यह मैं अपने अनुभवों से कह सकती हूँ। मुझे समर्थन मिलता है और न भी मिले तो मुझे जो करना है तो वह करना है और यही सोच हम महिलाओं में होनी चाहिए तभी बदलाव होगा। अपनी आय पर जब आपका नियन्त्रण होता है तो चीजें आसान हो जाती हैं।
हर साल नयी किताब लाना चाहती हूँ
अभी मुझे और भी लिखना है। इच्छा तो है कि हर साल नयी किताब लिखूँ और प्रकाशित करूँ मगर मेरा काम मेरी रोजी – रोटी है, उसे छोड़कर रहना न तो मेरे लिए सम्भव है तो मुझे समय प्रबन्धन करना होगा।
किसाी को अपना दिल न तोड़ने दें
खुद में विश्वास रखिए क्योंकि प्यार और उम्मीद हमेशा रहते हैं। किसी को अपना दिल न तोड़ने दें और न किसी चीज का पश्चाताप करें।

शुभजिता

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