जिस छात्र की कलाकृति को अश्लील बताकर निकाला गया, बना बीएचयू में स्वर्ण पदक विजेता

अहमदाबाद । बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के गोदाई फुलकाहां में रहने वाले कुंदन कुमार ने कभी सपने में नहीं सोचा होगा कि वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाएगा। जिस कला को वह शिद्दत से चाहता है, वही कला एक दिन उसके लिए परेशानी का सबब बन जाएगी। कुंदन कुमार ने कड़ी मेहनत के बाद वडोदरा की विश्व विख्यात यूनिवर्सिटी महाराजा सयाजीराव विश्विविद्यालय  में प्रवेश तो पा लिया लेकिन इन दिनों कुंदन कुमार बिहार में अपने घर पर रहने को मजबूर हैं। इसकी वजह है कि कुंदन कुमार को एमएसयू ने हमेशा के लिए डिबार (निष्कासित) कर दिया है। हालांकि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) ने अपने पूर्व छात्र को उनके अच्छे अभ्यास के लिए गोल्ड मेडल प्रदान किया है। कुंदन ने कहा, ‘मैं खुशी मनाऊं या अफसोस करूं। यह सही है कि बीएचयू से मुझे गोल्ड मेडल मिला है, लेकिन मैं आज भी अपनी पीजी की पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रहा हूं। मैं बीएचयू का गोल्ड मेडलिस्ट हूं और एमएयू के लिए डिबार छात्र।’ कुंदन बताते हैं कि गांव के आसपास ही उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई पूरी की थी। एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में कुंदन ने कहा, ‘कला में विशेष रुचि को देखते हुए मेरे शुरुआत के कला शिक्षक गोपाल फलक ने मुझे 12वीं के बाद बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से बीएफए (बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स) का सुझाव दिया। इसके बाद मैं बीएचयू गया। वह प्रवेश मिला। 2021 में पासआउट होकर एमएसयू के मास्टर ऑफ विजुअल आर्ट़्स के पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया। इसी दौरान जब पहला असेसमेंट था तो मैंने न्यूजपेपर की कवरेज के आधार कुछ आर्ट वर्क तैयार किए थे। इन आर्ट वर्क को लेकर जैसे ही आपत्ति आई तो मैंने हटा दिया। इसके बाद मैंने माफी भी मांगी, लेकिन यूनिवर्सिटी ने आनन-फानन में मुझे डिबार कर दिया।’
कैसे हुआ निष्कासन?
अप्रैल, 2022 तक कुंदन की जिंदगी में सबकुछ ठीक चल रहा था। मई महीने में कुंदन ने एमएसयू के अपने डिपार्टमेंट से मिले आर्ट वर्क को तैयार किया और उन्हें इंटरनली असेसमेंट के लिए लगाया। असेसमेंट के बाद उन्हें हटा लिया, लेकिन इधर किसी ने इन आर्ट वर्क्स को सोशल मीडिया के जरिए वायरल कर दिया। 5 मई कैंपस में हिंदू संगठनों और एबीवीपी के हंगामे के बाद यह मामला तूल पकड़ गया। इसके बाद कुंदन कुमार के खिलाफ न सिर्फ एफआईआर दर्ज हुई, यूनिवर्सिटी ने उन्हें पहले अस्थायी तौर डिबार किया और फिर 13 मई को हमेशा के डिबार कर दिया। कुंदन ने यूनिवर्सिटी के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी है। कुंदन के केस को गुजरात हाईकोर्ट में लड़ रहे वरिष्ठ वकील हितेश गुप्ता कहते हैं कि उन्हें उम्मीद है कि कुंदन को न्याय मिलेगा। कोर्ट की नोटिस पर यूनिवर्सिटी ने शपथ पत्र के साथ फैक्ट फाइडिंग कमेटी की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है। गुप्ता ने बताया कि अगली सुनवाई 2 फरवरी को है। फैक्ट फाइडिंग कमेटी की रिपोर्ट में उन बातों की पुष्टि हुई है। इसमें भी कहा गया है कि आर्ट वर्क यह इंटरनल असेंसमेंट के लिए था। इस गलत इरादे के साथ कुछ लोगों ने वायरल किया गया।

(स्त्रोेत – नवभारत टाइम्स)

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