पुणे : महाराष्ट्र में शोधार्थियों के एक दल ने पर्यावरण के अनुकूल एक हैंडवाश विकसित किया है। शोधार्थियों का कहना है कि कोरोना वायरस के खतरे से बचने के लिए नैनो पदार्थ आधारित ये हैंडवाश विषरहित है, इसका उपयोग करने से किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता है।
इसके साथ ही खाद्य पदार्थों और खिलौनों को धोने के लिए भी पानी आधारित एक संक्रमण रोधी तरल (डिसइन्फेक्टेंट) विकसित किया है। श्री शिव छत्रपति कॉलेज के डॉ. रविंद्र चौधरी के नेतृत्व वाले दल ने इन वस्तुओं को विकसित किया है। इस दल को इलेक्ट्रॉनिक्स प्रद्यौगिकी सामग्री केंद्र (सीएमईटी) के पूर्व महानिदेशक डॉ. दिनेश अमलनेरकर ने भी अपना सहयोग प्रदान किया।
अमलनेरकर ने बताया, “कोरोना वायरस को रोकने के लिए हाथ धोने के महत्व के बारे में तो सभी जानते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के अनुसार व्यक्ति को अल्कोहल युक्त सेनिटाइजर या साबुन से हाथ धोने चाहिए। परंतु इस बात को लेकर संशय है कि साबुन और पानी से हाथ धोने से विषाणुओं का खात्मा होगा या नहीं और बार-बार अल्कोहल युक्त सेनिटाइजर का प्रयोग करने से त्वचा रूखी होने लगती है।
उनका कहना है कि हाथ धोने के लिए हमने पर्यावरण के अनुकूल और जल्दी असर करने वाला एक जीवाणु रोधी तरल विकसित किया है। इसे नैनो-धातु यौगिक और सुगंधित चिकित्सीय जड़ी बूटी के सम्मिश्रण से बनाया गया है और ये बैक्टीरिया, फंगस और विषाणुओं को रोकने में सक्षम है।
अमलनेरकर का कहना है कि अभी जो संक्रमण रोधी तरल उपलब्ध हैं उनसे कच्ची सब्जियां, मांस और फलों को नहीं धोया जा सकता है। डॉ. रविंद्र चौधरी का कहना है कि नैनो पदार्थों द्वारा विकसित तरल विषैला नहीं है, इसलिए इससे जैविक पदार्थ धोए जा सकते हैं।