ट्रेनों में भी होते हैं लगेज को लेकर नियम

रेलवे हर भारतीय के लिए परिवहन का ही नहीं बल्कि आम जिन्दगी की जीवन रेखा है । यात्रियों को ढोने से लेकर माल ढोने तक और अब धार्मिक यात्राएं करवाने तक रेलवे ने लम्बा सफर तय किया है । ट्रेनों में अफरा – तफरी आम बात है मगर रेलवे यात्रा के कुछ नियम भी होते हैं। चलिए आज इन नियमों को जानते हैं –

:1. फोन पर जोर से बात करना

रेलवे की नियमावली के अनुसार कोई भी यात्री फोन पर ना तो तेज बातें कर सकता है और ना ही लाउड स्पीकर पर गाने सुन सकता है। कोई यात्री दूसरों को ऐसे परेशान ना कर पाएं, इसके लिए रेलवे ने अपने टीटीई, केटरिंग स्टाफ और अन्य सभी कर्मियों को इसका खास ध्यान रखने के लिए कहा है।

2. रात के 10 बजे के बाद के नियम

ट्रेन में रात को 10 बजे के बाद कुछ खास नियम होते हैं। रात को 10 बजे के बाद टीटीई आपकी टिकट चेक करने के लिए नहीं आ सकता है। नाइट लैंप के अलावा कोच की बाकी सभी लाइटों को बंद रखना होगा। समूह में यात्रा कर रहे यात्री भी एक-दूसरे से रात 10 बजे के बाद बात नहीं कर सकते और ना ही ऑनलाइन फुड ऑर्डर किया जा सकता है। हालांकि आप चाहे तो ई-केटरिंग सेवा से भोजन ऑर्डर कर सकते हैं। अगर आप मिडिल बर्थ को खोलते हैं तो लोअर बर्थ वाला यात्री कोई ऑब्जेक्शन नहीं कर सकता है।

3. मिडिल बर्थ का नियम

ट्रेन में अगर आपको मिडिल बर्थ मिलता है तो आप उसपर सिर्फ रात को 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक ही सो सकते हैं। अगर आप इससे पहले या इसके बाद भी मिडिल बर्थ का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आपका सहयात्री आपको ऐसा करने से रोक भी सकता है।

4. सामानों ले जाने के नियम

विमान की तरह ही सामानों को लेकर भी ट्रेन में नियम हैं। एसी कोच में यात्रा करने वाला यात्री अपने साथ अधिकतम 70 किलो, शयनयान श्रेणी से यात्रा करने वाले यात्री को अधिकतम 40 किलो और सेकंड क्लास श्रेणी से यात्रा करने वाले यात्री को अधिकतम 35 किलो सामान ही अपने साथ लेकर यात्रा करने की अनुमति है।

5. सर्कुलर टिकट पर यात्रा करने के नियम

अगर आप ट्रेन से पर्यटन स्थलों की यात्रा करने वाले हैं तो आप सर्कुलर यात्रा टिकट से यात्रा कर सकते हैं। इस टिकट पर आप अपनी यात्रा के बीच में 8 ब्रेक तक ले सकते हैं। इसके लिए आप रेलवे के अपने नजदीकी जोनल ऑफिस में जाकर अपनी सुविधा के अनुसार ही सर्कुलर टिकट ले सकते हैं।

6. ब्रेक जर्नी करने के नियम

क्या आपको पता है, आप अपने गंतव्य तक पहुंचने से पहले रास्ते में ब्रेक भी ले सकते हैं। भारतीय रेलवे 500 किमी तक की यात्रा के बीच में एक बार और 1000 किमी तक की यात्रा के बीच में 2 बार ब्रेक लेने की अनुमति देती है। यह ब्रेक यात्रा शुरू और खत्म होने के दिन को छोड़कर 2 दिनों तक का हो सकता है। हालांकि राजधानी, शताब्दी और जनशताब्दी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में ब्रेक लेने की अनुमति नहीं होती है।

7. गंतव्य स्टेशन बदलने का नियम

कई बार टिकट नहीं मिलने की वजह से यात्री अपने गंतव्य स्टेशन से एक या दो स्टेशन पहले तक का ही टिकट ले पाते हैं। कई बार यात्री अपने निर्धारित स्टेशन पर किसी कारणवश नहीं उतर पाते हैं। ऐसी स्थिति में यात्री टिकट कलेक्टर से अतिरिक्त स्टेशनों का टिकट यात्रा के दौरान ही बनवा सकता है। ऐसी स्थिति में हो सकता है कि यात्री को सीट उपलब्धता के आधार पर अपनी सीट या कोच बदलना पड़े।

8. ट्रेन छुटने के बाद उसमें चढ़ने का नियम

क्या आपको पता है, अगर किसी वजह से निर्धारित स्टेशन से आपकी ट्रेन छुट गयी हो तो आप उस ट्रेन में अगले 2 स्टेशन पार करने से पहले तक चढ़ सकते हैं। अगर आपके पास रिजर्वेशन का टिकट है तो टीटीई निर्धारित स्टेशन के बाद दो अन्य स्टेशनों के गुजरने तक आपकी सीट किसी और को नहीं दे सकता है। 2 स्टेशनों के गुजरने के बाद भी अगर आप ट्रेन में नहीं चढ़े और सीट पर नहीं पहुंचे तो RAC लिस्ट के आधार पर टीटीई आपकी सीट किसी और को दे सकता है।

9. वेटिंग लिस्ट पर यात्रा के नियम

अगर आपने पीआरएस  काउंटर (रेलवे काउंटर) से टिकट लिया है और आपका टिकट कंफर्म नहीं बल्कि वेटिंग लिस्ट वाला है, तब भी आप उस टिकट से ट्रेन में यात्रा कर सकते हैं। लेकिन अगर आपने आईआरसीटीसी की वेबसाइट से ई-टिकट लिया है और वह वेटिंग लिस्ट में है तो आप उस टिकट पर यात्रा नहीं कर सकते हैं। रेलवे सिर्फ चार्ट तैयार हो जाने के बाद ही रुपये रिफंड करती है इसलिए काउंटर वाले टिकटों पर यात्रा करने की अनुमति होती है। अगर आपने ई-टिकट पर यात्रा करने की कोशिश की तो आप बिना टिकट यात्रा करते हुए माने जाएंगे।

10.चेन खींचने का नियम

ट्रेन में लटकती चेन को देखकर अक्सर हम उसे खींचने के बारे में बातें करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है, बेवजह ट्रेन की चेन खींचना एक कानूनन जूर्म है। ट्रेन में चेन को आपातकालिन परिस्थितियों के लिए ही दिया जाता है। ट्रेन की चेन सिर्फ तभी खींची जा सकती है जब किसी सहयात्री, बुजूर्ग, बच्चे या फिर दिव्यांग की ट्रेन छुट गयी हो या फिर कोई आपातकाल हो।
(स्त्रोत – नेटिव प्लानेट)

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