तीन बहनों ने खोला महानगर में निःशुल्क पुस्तकालय

अक्सर हम सुनते हैं कि किताबों की दुनिया से बच्चे दूर भाग रहे हैं। सोशल मीडिया, टीवी और फिल्मों की मनमोहक दुनिया में कैद बच्चे को अक्षरों की दुनिया नहीं लुभाती, ये भी हम देख रहे हैं। ऐसे में दो बच्चियाँ पुस्तकालय खोलने के बारे में सोचें और खोलकर दिखा भी दें। यह हैरत में डालने वाली सुखद उम्मीद है। महानगर में सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल में पढ़ने वाली दो बहनों 12 साल की मनस्वी और 9 साल की सुहासिनी दूगड़ ने निःशुल्क पुस्तकालय खोला है और किताबों की शौकीन और अपनी बहनों में पढ़ने की आदत डालने वाली बड़ी बहन यशस्वी ने इस पुस्तकालय को संवारने और इंटीरियर और डिजिटल कार्यों का जिम्मा सम्भाला। तीनों बहनें ब्रिटिश काउंसिल में जाती रही हैं, वहाँ की लाइब्रेरी में पढ़ती भी रही हैं।

मनस्वी बताती है कि वह जब भी लाइब्रेरी जाती, उसे महसूस होता कि बहुत से बच्चों को पढ़ने का मौका नहीं मिल पाता। वह कहती है कि पढ़ना एक अच्छी आदत है और सबको किताबें पढ़नी चाहिए। मनस्वी की माँ शीतल कहती हैं कि ये मनस्वी की इच्छा थी और इन बहनों के आग्रह को देखकर शीतल और उनके पति ने पुस्तकालय खोलने में मदद दी। तीनों बहनों के पापा के दफ्तर का एक अतिरिक्त कमरा पुस्तकालय में बदला गया। किताबें रखने के लिए आलमारी लायी गयी और साहित्यकारों की तस्वीरों से उसको सजाया गया। अब रीडर्स प्लानेट पुस्तकालय बनकर तैयार है और इसमें 15 साल तक संचित किया गया किताबों का खजाना शामिल है। पुस्तकालय में 1 हजार किताबें हैं। बालीगंज फांड़ी के डोवर रोड स्थित इस 300 वर्ग फीट जगह में स्थित इस रीडर्स प्लानेट में विज्ञान, इतिहास, भूगोल, सामान्य ज्ञान, नैतिक शिक्षा और अँग्रेजी की किताबें भी शामिल हैं। वैसे तो यह पुस्तकालय सभी के लिए है मगर जरूरतमंद बच्चों खासकर 5 से 5 साल की उम्र के बच्चों को विशेष रूप से ध्यान में रखा गया है। पुस्तकालय में इन किताबों में पढ़ने के शौकीन मगर किताबों से वंचित हर बच्चे के लिए यह पुस्तकालय किसी वरदान से कम नहीं है। मनस्वी को इनसाइक्लोपीडिया पढ़ने में दिलचस्पी है जबकि खेलों की शौकीन सुहासिनी को फैंटेसी पढ़ना अच्छा लगता है। यशस्वी को हमेशा से पढ़ने का शौक रहा है और उसके निजी पुस्तकालय में 150 से ऊपर किताबें हैं। सिडनी में मार्केटिंग और फाइनेंस की पढ़ाई कर रही यशस्वी बताती है कि यहाँ पर बच्चों के लिए स्टोरी टेलिंग और लेखन पर कार्यशालाएँ भी आयोजित होंगी और वह खुद भी इस तरह की कार्यशालाएँ आयोजित करेगी। माँ शीतल दूगड़ को हिन्दी पसन्द है इसलिए हिन्दी किताबों का एक अलग सेक्शन है? रीडर्स प्लानेट सोमवार से शनिवार तक सुबह 11 से शाम 7 बजे तक खुला  रहेगा।

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।

तीन बहनों ने खोला महानगर में निःशुल्क पुस्तकालय

अक्सर हम सुनते हैं कि किताबों की दुनिया से बच्चे दूर भाग रहे हैं। सोशल मीडिया, टीवी और फिल्मों की मनमोहक दुनिया में कैद बच्चे को अक्षरों की दुनिया नहीं लुभाती, ये भी हम देख रहे हैं। ऐसे में दो बच्चियाँ पुस्तकालय खोलने के बारे में सोचें और खोलकर दिखा भी दें। यह हैरत में डालने वाली सुखद उम्मीद है। महानगर में सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल में पढ़ने वाली दो बहनों 12 साल की मनस्वी और 9 साल की सुहासिनी दूगड़ ने निःशुल्क पुस्तकालय खोला है और किताबों की शौकीन और अपनी बहनों में पढ़ने की आदत डालने वाली बड़ी बहन यशस्वी ने इस पुस्तकालय को संवारने और इंटीरियर और डिजिटल कार्यों का जिम्मा सम्भाला। तीनों बहनें ब्रिटिश काउंसिल में जाती रही हैं, वहाँ की लाइब्रेरी में पढ़ती भी रही हैं।

मनस्वी बताती है कि वह जब भी लाइब्रेरी जाती, उसे महसूस होता कि बहुत से बच्चों को पढ़ने का मौका नहीं मिल पाता। वह कहती है कि पढ़ना एक अच्छी आदत है और सबको किताबें पढ़नी चाहिए। मनस्वी की माँ शीतल कहती हैं कि ये मनस्वी की इच्छा थी और इन बहनों के आग्रह को देखकर शीतल और उनके पति ने पुस्तकालय खोलने में मदद दी। तीनों बहनों के पापा के दफ्तर का एक अतिरिक्त कमरा पुस्तकालय में बदला गया। किताबें रखने के लिए आलमारी लायी गयी और साहित्यकारों की तस्वीरों से उसको सजाया गया। अब रीडर्स प्लानेट पुस्तकालय बनकर तैयार है और इसमें 15 साल तक संचित किया गया किताबों का खजाना शामिल है। पुस्तकालय में 1 हजार किताबें हैं। बालीगंज फांड़ी के डोवर रोड स्थित इस 300 वर्ग फीट जगह में स्थित इस रीडर्स प्लानेट में विज्ञान, इतिहास, भूगोल, सामान्य ज्ञान, नैतिक शिक्षा और अँग्रेजी की किताबें भी शामिल हैं। वैसे तो यह पुस्तकालय सभी के लिए है मगर जरूरतमंद बच्चों खासकर 5 से 5 साल की उम्र के बच्चों को विशेष रूप से ध्यान में रखा गया है। पुस्तकालय में इन किताबों में पढ़ने के शौकीन मगर किताबों से वंचित हर बच्चे के लिए यह पुस्तकालय किसी वरदान से कम नहीं है। मनस्वी को इनसाइक्लोपीडिया पढ़ने में दिलचस्पी है जबकि खेलों की शौकीन सुहासिनी को फैंटेसी पढ़ना अच्छा लगता है। यशस्वी को हमेशा से पढ़ने का शौक रहा है और उसके निजी पुस्तकालय में 150 से ऊपर किताबें हैं। सिडनी में मार्केटिंग और फाइनेंस की पढ़ाई कर रही यशस्वी बताती है कि यहाँ पर बच्चों के लिए स्टोरी टेलिंग और लेखन पर कार्यशालाएँ भी आयोजित होंगी और वह खुद भी इस तरह की कार्यशालाएँ आयोजित करेगी। माँ शीतल दूगड़ को हिन्दी पसन्द है इसलिए हिन्दी किताबों का एक अलग सेक्शन है? रीडर्स प्लानेट सोमवार से शनिवार तक सुबह 11 से शाम 7 बजे तक खुला  रहेगा।

 

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