देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर कचरे से सालाना कमा रहा है चार करोड़

इंदौर : देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर कूड़ा-कचरे के बेहतर इस्तेमाल से सालाना चार करोड़ रुपये की कमाई कर रहा है। यह जानकारी रविवार को एक अधिकारी ने दी। मध्य प्रदेश का इंदौर पिछले तीन बार से देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित या गया है। चौथी बार भी यह तमगा हासिल करने के लिए इंदौर नगर निगम और जनता अपनी ओर से पुरजोर प्रयास कर रहे हैं।
केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के लिए इंदौर नगर निगम के सलाहकार असद वारसी ने बताया कि एक निजी कंपनी ने सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत एक निजी कंपनी ने 30 करोड़ के निवेश से कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से संपन्न स्वचालित कचरा प्रसंस्करण संयंत्र लगाया है। देश में संभवत: अपनी तरह के पहले संयंत्र में हर दिन 300 टन सूखे कचरे का प्रसंस्करण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि रोबोटिक प्रणाली वाले इस संयंत्र की खासियत यह है कि इसके सेंसर सूखे कचरे को छांट कर अलग कर देते हैं।
प्रसंस्करण के बाद सूखे कचरे में से कांच, प्लास्टिक, कागज, गत्ता, धातु आदि पदार्थ अलग-अलग बंडलों के रूप में बाहर निकल जाते हैं। उन्होंने बताया कि इस संयंत्र के लिए निगम ने चार एकड़ जमीन दी है। जमीन के अलावा निगम ने संयंत्र लगाने में कोई वित्तीय निवेश नहीं किया है लेकिन करार के मुताबिक संयंत्र लगाने वाली निजी कंपनी कचरे के प्रसंस्करण से होने वाली आय में से आईएमसी को हर साल 1.51 करोड़ रुपये का प्रीमियम अदा करेगी।
वारसी ने बताया कि आईएमसी गीले कचरे के प्रसंस्करण से कंपोस्ट खाद और बायो सीएनजी ईंधन बना रहा है। इसके अलावा, नए निर्माण किए जाने और पुराने निर्माण ढहाए जाने के दौरान निकलने वाले मलबे से ईंटें, इंटरलॉकिंग टाइल्स और अन्य निर्माण सामग्री बनाई जा रही है। इन सभी उत्पादों की बिक्री से निगम को कुल 2.5 करोड़ रुपये की सालाना कमाई हो रही है।
उन्होंने बताया कि पहले चरण में तीन गैर सरकारी संगठन शहर के करीब 22,000 घरों से सूखा कचरा इकट्ठा कर रहे हैं। घर के मालिकों को हर एक किलोग्राम सूखे कचरे के बदले एनजीओ की ओर से 2.5 रुपये का भुगतान किया जा रहा है। 35 लाख की आबादी वाले इंदौर में हर रोज तकरीबन 1,200 टन कचरे का अलग-अलग तरीकों से सुरक्षित निपटारा किया जाता है। इसमें 550 टन गीला कचरा और 650 टन सूखा कचरा शामिल है।

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