पद्म सम्मान – सीडीएस रावत से कल्याण सिंह, नीरज चोपड़ा से सोनू निगम तक…कोई प्रचार से दूर कर रहा काम

नयी दिल्ली । अलग-अलग क्षेत्रों में शानदार काम करने वाले 128 लोगों को पद्म अवार्ड से सम्मानित किया जा रहा है। सीडीएस जनरल बिपिन रावत , गुलाम नबी आजाद, कल्याण सिंह और प्रभा अत्रे को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। गायक सोनू निगम को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। सीडीएस रावत को देश ने हेलिकॉप्टर क्रैश में खो दिया था। इसके अलावा बीजेपी नेता कल्याण सिंह को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, अभिनेता विक्टर बनर्जी पद्म भूषण से सम्मानित किए जाएंगे. वहीं, देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साइरस पूनावाला, भारत बायोटेक के कृष्णा इल्ला, सुचित्रा इल्ला, दिवंगत पंजाबी गायक गुरमीत सिंह बावा और पूर्व केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि को सम्मानित किया जाएगा। इसके अलावा 107 लोगों को पद्म श्री दिया जाएगा. इनमें ओलंपियन नीरज चोपड़ा, प्रमोद भगत, वंदना कटारिया और गायक सोनू निगम का भी नाम है। पश्चिम बंगाल से उद्योगपति पी.आर. अग्रवाल को पद्मश्री मिला है। गौरतलब है कि बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने यह सम्मान लेने से इनकार कर दिया है।
इसके अतिरिक्त वह लोग भी पुरस्कार पा रहे हैं जिन्होंने प्रचार से दूर रहकर उल्लेखनीय योगदान दिया है। इनमें दिवंगत स्वतंत्र सेनानी से लेकर सांप-बिच्छू के काटने का इलाज करने वाले डॉक्टर भी शामिल हैं। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में कराटे किड के नाम से लोकप्रिय एक स्पोर्ट्स कोच और दुनिया में आईवीएफ के जरिए भैंस का बछड़ा पैदा कराने वाले डॉक्टर का नाम भी इस साल सरकार की पद्मश्री सूची में शामिल है।
1 आंध्र प्रदेश के गोसावीडू शेख हसन को मरणोपरांत पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है। वे एक स्वतंत्रता सेनानी के साथ जाने-माने नादस्वरम वादक भी रह चुके थे। सात दशकों तक हसन ने भगवान श्रीराम की प्रार्थना में यह वाद्य यंत्र बजाया। हसन ने अपना जीवन ऐतिहासिक भद्रचालम के श्री सीतारामचंद्र स्वामी मंदिर को समर्पित कर दिया।
2. उत्तर प्रदेश के सेठ पाल सिंह को भी पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है। सेठ पाल को कृषि के क्षेत्र में योगदान के लिए पहचाना जाता है। उन्होंने सिंघाड़े की फसल को उगाने के लिए नियमित आवर्तन प्रक्रिया में महारत हासिल किया था। राज्य के एक बड़े क्षेत्र में उन्होंने किसानों को पारंपरिक फसलों के साथ फल और सब्जियां उगाने के लिए भी प्रेरित किया है।
3. महाराष्ट्र के महाड के रहने वाले हिम्मतराव बावस्कर क्षेत्र के लिए लोकप्रिय नाम हैं, जिन्हें बिच्छू और सांप के काटने का इलाज करने के लिए जाना जाता है। हिम्मतराव ने संसाधनों की कमी के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में बिच्छू-सांप के काटने से पीड़ित गरीबों का इलाज शुरू किया। अपने इसी सफर में उन्होंने पाया कि प्रैजोसिन नाम की दवा इलाज में इस्तेमाल करने से बिच्छू-सांप के काटने का शिकार होने वालों की मौतों की दर 40 फीसदी से घटकर एक फीसदी तक आ जाती है।
4. करनाल के 82 वर्षीय विशेषज्ञ मदान ने इनविट्रो फर्टिलिटी (आईवीएफ) तकनीक से दुनिया का पहला भैंस का बछड़ा तैयार करने वाली टीम का नेतृत्व किया। उन्होंने करनाल में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक के तौर पर लंबे समय तक काम किया। उन्होंने प्रजनन एंडोक्राइनोलॉजी, भ्रूण जैव प्रौद्योगिकी, आईवीएफ और क्लोनिंग में अनुसंधान को बढ़ावा दिया।
5. मरणोपरांत सम्मानित किए गए उत्तर प्रदेश के राधेश्याम खेमका पेशे से प्रकाशक थे। उन्होंने धार्मिक पत्रिका कल्याण का वर्षों तक संपादन किया। वह गीता प्रेस से जुड़े थे, जिसने गीता, महाभारत और रामायण जैसी प्राचीन साहित्यिक कृतियों को लोगों तक पहुंचाया।
6. जम्मू-कश्मीर के फैसल अली डार को कश्मीर के कराटे किड के तौर पर जाना जाता है। बांदिपोरा निवासी डार एक मार्शल आर्ट कोच हैं। उन्होंने एक खेल एकेडमी की स्थापना करके 4,000 छात्रों को कोचिंग दी है। उनका मकसद संवेदनशील, उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में युवाओं को अवसरों और सपनों के साथ सशक्त बनाना है। डार की उपलब्धियां किक बॉक्सिंग चैंपियनशिप में उनके ट्रेन्ड किए छात्रों के पदकों से ही झलकती है।
7. कर्नाटक में शिवमोग्गा के एक प्रसिद्ध गामाका गायक एचआर केशवमूर्ति हैं, जिन्होंने 100 से अधिक शास्त्रीय रागों को गामाका गायन की अपनी शैली में पेश किया है।
8. गुजरात की गामित रमीलाबेन रायसिंहभाई तापी की आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने अपने प्रयासों से नौ गांवों को खुले में शौच से मुक्त कराया और 300 से अधिक सेनेटरी इकाइयां बनाईं।
9. मरणोपरांत सम्मानित झारखंड के गिरधारी राम घोंजू के नागपुरी साहित्यकार और शिक्षाविद हैं। रांची के घोंजू ने झारखंड की क्षेत्रीय भाषा और संस्कृति के उत्थान के लिए काम किया और 25 से अधिक पुस्तकें तथा नाटक लिखे। विशेष रूप से स्थानीय विरासत और नागपुरी संस्कृति की पहचान को पांच दशकों से अधिक समय तक सहेज कर रखा।
10. ओडिशा के नरसिंह प्रसाद गुरु बलांगीर के एक कोशाली लेखक, गीतकार और कोशकार हैं, जिन्होंने दशकों तक कोशाली भाषा का समर्थन किया। उन्होंने कोशाली में 10 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं और आकाशवाणी द्वारा प्रसारित लगभग 500 गीतात्मक गायनों की रचना की है।
11. तमिलनाडु की आर मुथुकन्नमल विरालीमलाई की एक सदिर नर्तकी हैं। उन्होंने 70 से अधिक वर्षों में 1,000 से अधिक नृत्य और गायन शो में प्रदर्शन किया।
12. मोहाली के एक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता प्रेम सिंह ने अपने जीवन के तीन दशक से अधिक समय पंजाब में 1,000 से अधिक कुष्ठ रोगियों की सेवा में समर्पित किया।
13. मध्य प्रदेश में बुंदेलखंड निवासी राम सहाय पांडे एक अनुभवी राई लोक कलाकार है। वह 60 वर्षों से मृदंगम की धुनों के साथ मेल करके इस नृत्य को लोकप्रिय बना दिया।

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