‘पृथकता और भेदभाव के विरुद्ध मानवीय पहल है कविता’

कोलकाता :  कोलकाता की प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से साहित्य संवाद श्रृंखला के अंतर्गत काव्यपाठ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों से कवियों ने हिस्सा लिया। कवियों का स्वागत निखिता पांडे ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ आलोचक डॉ शंभुनाथ ने कहा कविता लिखना-पढ़ना आदमी होना है। कविता ने हमेशा पृथकता और भेद के विरोध में मानवीय पहल की है।साहित्य संवाद के जरिए हम नई पीढ़ी में उतरोत्तर सृजनात्मक संस्कार निर्मित करना चाहते हैं। इस अवसर पर कश्मीर से चर्चित कवि अग्निशेखर ने अपनी कविताओं में विस्थापन की पीड़ा के कई चित्रों को उकेरा। उनकी कविताओं में मनुष्यता की गहरी बेचैनी दिखी।झारखंड से वरिष्ठ कवि उमरचंद जायसवाल ने अपनी कविताओं में प्राकृतिक बिम्बों के जरिए प्रेम और प्रतिबद्धता की बात कही। मृत्युंजय ने अपनी कविताओं के माध्यम से व्यवस्था पर करारा प्रहार किया। उन्होंने हाशिये पर खड़े किसानों की पीड़ा को व्यक्त किया। आरा से अरुण शीतांश ने अपनी कविताओं में मजदूरों,स्त्री और आम आदमी के जीवन की कथा को कविता कोलाज के रूप में स्वर दिया। भोपाल से जुड़ी चर्चित कवयित्री नीलेश रघुवंशी की कविताओं में हमारे समय का सच कई रूपों में व्यक्त हुआ। उनकी कविताओं में व्यवस्था को लेकर गहरा असंतोष भी दिखा। रेखा श्रीवास्तव की कविताओं में नैतिक मूल्यों के पतन को लेकर गहरी बेचैनी दिखी। सुरेश शॉ ने वर्तमान राजनीतिक विसंगतियों पर जोरदार प्रहार किया।हावड़ा हिंदी सेल के सचिव मानव जायसवाल की कविताओं में कलाकार की मृत्यु से उपजे असंतोष की नि:स्तब्धता के साथ राष्ट्र की प्रगति को लेकर एक क्षोभ दिखा। दिल्ली से जावेद आलम खान ने अपनी कविताओं में राजनीतिक स्वार्थपरता को बेनकाब करते हुए आदमियत को बचाने की प्रतिबद्धता दिखाई। आसनसोल से जुड़े रोहित प्रसाद पथिक की कविताओं में आदिवासियों की समस्याओं को लेकर एक असंतोष दिखा। तृषाणिता बनिक ने अपनी कविताओं में आम आदमी की बुनियादी जरूरत रोटी के जरिए अभावग्रस्त जीवन की विडंबनाओं का चित्र खींचा।
संस्था के संयुक्त सचिव संजय जायसवाल ने कहा कि साहित्य संवाद का यह मंच सृजनात्मकता के साथ सहयात्रा का मंच है। साहित्य को व्यापक समाज से जोड़ने के इस मुहिम में सबकी भागीदारी अपेक्षित है। इस अवसर पर भारी संख्या में साहित्य और संस्कृति प्रेमी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन राहुल गौंड़ ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन विनोद यादव और तकनीकी सहयोग मधु सिंह ने दिया।

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