प्रसून बनर्जी : ऐसा डीआईजी, जो लेखक है और फिल्मकार भी

लक्ष्मी शर्मा

वो एक लेखक भी हैं, एक साहित्यकार भी हैं, कविताएँ लिखते हैं और फिल्मकार भी हैं और ये बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं डीआईजी प्रसून बनर्जी। जहाँ चाह है, वहीं राह भी है और अपनी कर्मंभूमि की मिट्टी और परम्परा को सामने लाना एक बड़ा काम है। मालदा रेंज के डीआईजी हैं। जिसके तहत मालदा और दक्षिण दिनाजपुर दोनों जिले आते हैं। प्रसून बनर्जी का दक्षिण दिनाजपुर से नाता करीबन 8 साल पुराना है और उससे भी पुराना नाता उनका अपनी प्रतिभाओं से है अपने शौक से है जिनमें लेखन संस्कृति कवि फिल्म निर्देशन सब कुछ शामिल है।

उन्होंने हमसे खास बातचीत में शुरुआत की कि वह शुरू से ही इन सब चीजों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। लेखन उनका शौक है कविताओं में वह अपनी बात कह जाते हैं हर फिल्म में वह दिखाते हैं  इन्सान की जिन्दगी के अनुछुए पहलुओं को। स्थानीय तकनीक, लोक का संगीत चुनते हैं और बुन देते हैं एक खूबसूरत कहानी। अब तक 5 फिल्में बना चुके हैं और इनकी एक फिल्म दादा साहेब फाल्के  पुरस्कार के लिए 2018 की दौड़ में शामिल रह चुकी है। इसी साल उनकी एक फिल्म आई है जिसका नाम ‘मेन विल बी मेन’ है । यह फिल्म रूस के फिल्म फेस्टिवल में चुनी गयी है। इस फिल्म में समाज में रह रहे इंसान के कई कई रूपों के बारे में एक अलग तरीके से दिखाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा दक्षिण दिनाजपुर जिला में रहस्य- इतिहास, बहुत कुछ खास है, जिस पर मैंने लिखा हैऔर महसूस किया है। उसे अपनी कविताओं में अपने नाटकों में मैंने जीया है। एक रोमांच सा है । जिन्हें मैं सबको दिखाना चाहता हूँ। सबके सामने लाना चाहता हूं की यह ला के कुछ खास है यहां की संस्कृति यहां का शिल्प सब अलग है।

कई किताबें लिख चुके आईपीएस अधिकारी प्रसून बनर्जी ने आगे बताया कि समय मिल पाना बहुत कठिन है इन सब चीजों के लिए अपने मन को दिमाग को काफी तैयार और ऊर्जा रखनी पड़ती है अपने अंदर लिखने के लिए सोचने के लिए लेकिन जहाँ चाह, वहाँ राह.  यह वाली कहावत तो आपने सुनी ही होगी, बस इसी कहावत के अनुसार ही मैं अपना काम, अपना शौक पूरा करता हूं। जब काम ज्यादा होता है तब थोड़ा कम समय मिलता है और जब काम कम होता है तब इन सब चीजों के लिए मुझे ज्यादा समय मिल जाता है। इस कोरोना काल में भी उनकी एक कविता की पूरी जिले में सराही जा रही है जिसका नाम ‘आमादर कोथा’ है इस कविता को आवाज दी है गौतम जी ने। इस कविता में पूरे बंगाल को परिभाषित किया है प्रसून बनर्जी ने।
भले ही जन्म से उनका कोई रिश्ता ना रहा हो दक्षिण दिनाजपुर से लेकिन अब उनकी लेखनी में उनकी फिल्मों में  वह प्रासंगिक विषय बन चुका है दक्षिण दिनाजपुर जिला यहां की संस्कृति नाट्य कला गौरव इतिहास सब कुछ अपने में समाहित कर लिया है इन आला अधिकारी आईपीएस मालदा रेंज के डीआईजी प्रसून बनर्जी ने।

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