बच्चों को बचपन में ही दें उनके कमरे की जिम्मेदारी

बच्चे जब छोटे होते हैं तो माता-पिता ही उनके सारे काम करते हैं। उनके खिलौने जगह पर रखना, बिस्तर लगाना, किताबें उठाना, कमरे को साफ करना और न जाने क्या-क्या। बच्चों के सारे काम माता-पिता के जरिए करने की आदत उन्हें लापरवाह और गैर जिम्मेदार बनाती है। फिर बाद में व्यवस्था सिखाना मुश्किल होता है। यही वजह होती है कि वे जीवन में भी अस्त-व्यस्त रहते हैं। इस आदत में बदलाव के लिए पहला कदम आपको उठाना होगा। मेघा मैरी बता रही हैं कि कैसे आप बच्चों को व्यवस्थित रहना सिखा सकते हैं। इस सलीके को सिखाने के लिए रोचक तरीका अपनाएं-
छुटपन से शुरूआत
यह सोच गलत है कि बच्चा बड़ा होकर सब खुद-ब-खुद सीख जाता है। आदत आपको ही डालनी होगी। बच्चा छोटा है तो खेलने के बाद उसे खिलौने जगह पर रखने और कचरे को डस्टबिन में डालने के लिए तो कह ही सकते हैं। काम बेशक छोटे हैं पर काम करने की आदत यहीं से पड़ेगी।
अभी देर नहीं हुई
अंग्रेजी में कहावत है ‘इट्स नेवर टू लेट टू स्टार्ट।’ इसका अर्थ है कि शुरूआत के लिए अभी देर नहीं हुई है। अगर आपके बच्चे बड़े हो गए हैं तो उन्हें कहें कि वे अपने कमरे को अपने हिसाब से रख सकते हैं बशर्ते कमरा साफ रहना चाहिए। इसके लिए शुरुआत में उन्हें सिखाएं कि कैसे चीजों को व्यवस्थित रखना है। यानी शुरूआत में साफ कमरा सजाकर आप देंगे और उन्हें बता देंगे कि भले जमावट वे अपने मुताबिक कर लें लेकिन सफाई रहना जरूरी है।
बच्चों के मुताबिक सामान चुनें
कमरा बच्चों का है तो सामान भी उनकी पसंद और उनके हिसाब का होना चाहिए। पर्देसे लेकर तकिए और बेड भी रंगीन और खूबसूरत होना चाहिए, ताकि बच्चों को पसंद आए।
यदि फर्नीचर आदि बच्चों के हिसाब का नहीं है तो उसे उनके अनुकूल बना सकते हैं। ऐसे में फर्नीचर को अलग-अलग रंगों से पेंट कर सकते हैं, इसमें बच्चों की मदद लें। बच्चों द्वारा बनाए गए क्राफ्ट आदि को उनके कमरे में सजा सकते हैं। सामान ऐसा हो, जिसे बच्चे खुद सम्भाल व साफ कर सकें।
बिस्तर बनाना
फौजियों को सबसे पहले बिस्तर ठीक करना सिखाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि उठते ही अपना बिस्तर ठीक करना एक सुव्यवस्थित दिन की ओर पहला कदम बढ़ाने जैसा होता है। और तो और बिखरा हुआ बिस्तर पूरे कमरे की शोभा बिगाड़ देता है। बच्चों से बिस्तर ठीक करने की आदत डलवाएं लेकिन उन्हें ये न लगे कि ये उनसे ज़बरदस्ती कराया जा रहा है। शुरुआत में उनसे ये एक प्रतियोगिता की तरह करवाएं। चादर को कैसे ठीक करना है, तकिए और कम्फर्टर को कैसे रखना है, कितने दिन में चादर को बदलना है आदि।
सामान पहुँच में हो
कई बार सामान इतना ऊपर या ऐसी जगह रख दिया जाता है जहां बच्चे पहुँच नहीं पाते। जो भी बच्चों के काम का सामान है वो उनकी पहुँच में होना चाहिए। खिलौने रखने के लिए डलिया या अलमारी जो भी हो वो पहुँच में हो। ऐसा न होने पर खिलौनों का बिखरना स्वाभाविक होगा। साथ ही ड्रॉइंग बुक, स्केच पेन, पेंसिल आदि भी सामने ही रखें, ताकि जरूरत के वक्त बिना सामान बिखेरे वे इन्हें ले सकें। किताबों के लिए रैक नहीं हो तो उन्हें खूबसूरती से साधारण अलमारी में सजा दें, लेकिन ये भी बच्चों की पहुंच में ही हों।
अतिरिक्त को हटाएं
कमरा साफ होने के बाद जो सामान लगता है कि काम का नहीं है उसे हटा दें या किसी जरूरतमंद को दे दें। हो सके तो बच्चों से ये कार्य कराएं। इससे वे दूसरों के लिए भी सोचेंगे और उनके प्रति संवेदनशील बनेंगे।
आखिरी चरण
बच्चे जब अपना कमरा अपने मुताबिक सेट कर लें तो कमरे की कुछ तस्वीर खींच लें। इन तस्वीरों को उनकी स्टडी टेबल के पास, दरवाजे पर और बिस्तर के पास लगा सकते हैं, ताकि बिखरा कमरा देखकर वे समझ सकें कि किस चीज को किस जगह रखना है।

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