महामारी ने वह करा दिया, जो पहले कभी न हुआ

नयी दिल्ली : महामारी के संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय भले ही सबसे पहले छह जनवरी में सतर्क हुआ हो लेकिन, असल में मार्च में मरीजों की संख्या बढ़ने पर ही सरकार सक्रिय हुई। नतीजे में 40 दिन के सख्त लॉकडाउन में भारत ने वह सब कर दिया, जो पहले कभी नहीं देखा गया। इस दौरान हमने कई ऐसे शब्द और उनके अर्थ को भी समझा, जिनमें से ज्यादातर न पहले हमने सुने थे, न ही इनका मतलब पता था।
अब तक ये हुआ हासिल
लंबे समय से ऑक्सीजन सिलिंडर नहीं खरीदे गए, न ही अस्पतालों में औद्योगिक सिलिंडरों का इस्तेमाल हुआ। अब 1.02 लाख नए सिलिंडर पहली बार खरीदे जा रहे

एन-95/एन-90 मास्क के अलावा हर साल करीब 50 से 70 हजार तक पीपीई आयात होती थीं। अब हर दिन डेढ़ लाख पीपीई और 2.30 लाख मास्क बन रहे

कोरोना से पहले देश में हर माह 5 हजार वेंटिलेटर बनते थे, लेकिन एक माह में 9 हजार वेंटिलेटर का निर्माण हुआ

23 मार्च से आईसीयू बेड की संख्या 41,974 से बढ़कर 1,94,026 हुई

40 दिन में 1741 केयर सेंटर, 1297 कोविड स्वास्थ्य केंद्र और 738 अस्पताल तैयार

एक महीने में ही एचसीक्यू उत्पादन प्रति माह 12.23 करोड़ से 30 करोड़ हुआ

ये नए शब्द मिले
हॉटस्पॉट                        कंटेनमेंट जोन

बफर जोन                      आरटी पीसीआर
रैपिड                             एंटीबॉडीज किट्स
प्लाज्मा थैरेपी                  बैट कोरोना वायरस
रेड, ऑरेंज, ग्रीन जोन

साभार – अमर उजाला

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