मेरी कप्तानी छीनने और टीम से बाहर करने में ग्रेग चैपल ही नहीं, सभी थे शामिल’ : गांगुली

नयी दिल्ली : टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) अध्यक्ष सौरव गांगुली ने अपने करियर के सबसे मुश्किल दौर को लेकर बात की है। गांगुली टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तानों में गिने जाते हैं, लेकिन 2005 का साल उनके लिए काफी निराशाजनक रहा था। उनसे कप्तानी छिनी और इसके बाद उन्हें टीम से भी बाहर कर दिया गया था। गांगुली ने कहा कि उन्हें टीम से निकालने में सिर्फ पूर्व कोच ग्रेग चैपल ही नहीं बल्कि पूरा सिस्टम शामिल था। गांगुली का मानना है कि उनसे कप्तानी छीनना नाइंसाफी थी।
एक बांग्ला दैनिक को दिए साक्षात्कार में गांगुली ने अपने कॅरियर के उस सबसे मुश्किल दौर के बारे में बातचीत की। उन्होंने कहा, ‘वो मेरे करियर का सबसे बड़ा झटका था। मेरे साथ सरासर नाइंसाफी हुई थी। मुझे पता है कि आपको हमेशा न्याय नहीं मिल सकता, लेकिन फिर भी जो कुछ हुआ था मेरे साथ वो नहीं होना चाहिए था। मैं टीम इंडिया का कप्तान था और जिम्बाब्वे से जीतकर लौटा था और स्वदेश लौटते ही मुझे कप्तानी से हटा दिया गया था। मैंने 2007 वर्ल्ड कप भारत के लिए जीतने का सपना देखा था।’
‘2007 विश्व कप जीतना मेरा सपना था’

गांगुली ने आगे कहा, ‘इससे पहले हम फाइनल (2003 वर्ल्ड कप) में पहुंचे थे, मेरे पास यह सपना देखने के कारण थे। पांच सालों में टीम ने मेरी कप्तानी में अच्छा प्रदर्शन किया था, वो चाहे भारत में हो या फिर बाहर। इसके बाद आप अचानक मुझे टीम से ड्रॉप कर देते हैं? आप कहते हैं कि मैं वनडे इंटरनैशनल टीम का हिस्सा नहीं हूं और फिर मुझे टेस्ट टीम से भी बाहर कर दिया जाता है।’ गांगुली ने कहा कि मुझे इसमें कोई शक नहीं कि इसकी शुरुआत ग्रेग चैपल के बीसीसीआई को भेजे उस ई-मेल से हुई, जिसमें उनके खिलाफ काफी बातें लिखी गई थीं और जो लीक हो गया था।

क्या ऐसा होता है?’
गांगुली ने कहा, ‘मैं सिर्फ ग्रेग चैपल को इसका दोषी नहीं ठहराऊंगा। इसमें कोई शक नहीं कि उन्होंने ही यह सब शुरू किया था। उन्होंने मेरे खिलाफ बोर्ड को एक ई-मेल लिखा, जो लीक हो गया। क्या ऐसा कुछ होता है? क्रिकेट टीम एक परिवार की तरह होती है। लोगों में मतभेद हो सकते हैं, मिसअंडरस्टैंडिंग हो सकती है, लेकिन यह सब बातचीत से सुलझाया जा सकता है। आप कोच हैं, अगर आपको लगता है कि मुझे कुछ खास तरीके से खेलना चाहिए, तो आप मुझे बताइये। जब मैं खिलाड़ी के तौर पर टीम में लौटा, तो उन्होंने मुझे बताया, तो पहले क्यों नहीं ऐसा किया गया?’
‘टीम से ड्रॉप करने में सबका था हाथ’
गांगुली ने इसके लिए अकेले चैपल को जिम्मेदार नहीं ठहराया, कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि कोई सिस्टम की मदद के बिना कप्तान को हटा दे। उन्होंने कहा, ‘बाकी लोग भी निर्दोष नहीं थे। एक विदेशी कोच, जिसकी टीम सिलेक्शन में कोई नहीं राय मायने नहीं रखती थी, वो टीम इंडिया के कप्तान को ड्रॉप नहीं कर सकता। मुझे समझ में आ गया था यह बिना सिस्टम के सपोर्ट के नहीं हो सकता है। मुझे टीम से निकालने में सभी लोग शामिल थे, लेकिन मैं दबाव में बिखरा नहीं, मेरा आत्मविश्वास खत्म नहीं हुआ।’ 2005 में टीम से ड्रॉप होने के बाद गांगुली ने 2006 में दक्षिण अफ्रीकी दौरे के साथ टीम में वापसी की। इंटरनैशनल क्रिकेट में वापसी गांगुली ने रनों के साथ की और अगले दो साल में अपने करियर की कुछ यादगार पारियां खेलीं।
2008 में गांगुली ने लिया संन्यास
उन्होंने 2008 में नागपुर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला था और रिटायरमेंट की घोषणा कर दी थी। गांगुली ने 311 वनडे इंटरनैशनल मैचों में 11363 रन और 113 टेस्ट मैचों में 7212 रन बनाए। उनके खाते में 22 वनडे इंटरनैशनल और 15 टेस्ट सेंचुरी शामिल हैं। गांगुली को महान कप्तानों में बिना जाता है, क्योंकि उन्होंने 2000 में हुए फिक्सिंग कांड के बाद टीम इंडिया को संभाला और अपनी कप्तानी में टीम को आगे बढ़ाया।

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