यमुना की 30 फीट गहराई में मिलीं कुषाण काल की ईंटें और मूर्तियां

घरौंडा (करनाल) : फरीदपुर गांव में खनन के दौरान 30 फीट की गहराई में मिली पौराणिक मूर्तियां आठवीं-नौवीं शताब्दी और 11वीं व 12वीं शताब्दी के मध्य रहे राजपूत काल के समय की हैं। वहीं खुदाई में मिली ईंटों को कुषाण काल का माना जा रहा है। पुरातत्वविदों का कहना है कि राजपूत काल में इस तरह की मूर्तियां बनाई जाती थी। अध्ययन में सामने आया है कि इस काल में बनी ईंटों के पीछे उंगलियों के निशान होते थे, जो खुदाई में मिली ईंटों पर भी हैं। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि ये ईंटें लगभग दो हजार साल पहले की हैं। दरअसल, फरीदपुर गांव के पास रेत की खदान में खुदाई के दौरान शिवलिंग व मूर्तियां निकली थीं। सूचना के बाद जाँच के लिए प्रशासन व पुरातत्व विभाग की टीम गांव में पहुंची। पुरातत्व विभाग हरियाणा के अधिकारी शुभम मलिक व बीडीपीओ प्रेम सिंह जांच दल के साथ रेत की खान में गए। अधिकारियों ने उस जगह का मुआयना किया, जहां पर खुदाई में शिवलिंग व स्तंभ मिले थे। पुरातत्व विभाग के दल ने खुदाई में मिलीं ईंटों का निरीक्षण किया। खदान के बाद पुरातत्व विभाग की टीम गांव के देवी मंदिर में पहुंचीं, जहां पर ग्रामीणों ने शिवलिंग व नंदी की मूर्तियों को स्थापित कर दिया था।
पुरातत्व अधिकारी शुभम मलिक ने बारीकी से पौराणिक धरोहरों की जाँच की। उन्होंने कहा कि यहां मिली प्राचीन कला कृतियों का ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत अधिक महत्व है। शुभम मलिक ने कहा कि सभी कला कृतियों का विस्तृत अध्ययन होना है। ऐसे में इनकी सुरक्षा बेहद अहम है। मूर्तियों की कस्टडी को लेकर ग्रामीणों व अधिकारियों के बीच लंबी बातचीत हुई। ग्रामीण किसी भी सूरत में शिव स्वरूप को पुरातत्व विभाग को सौंपने को तैयार नहीं हैं।
लोगों की आस्था को देखते हुए प्रशासन के अधिकारियों ने बीच का रास्ता निकाला। प्राचीन कला मूर्तियों की सुरक्षा के मद्देनजर गांव में 14 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। यह मूर्तियां कमेटी की कस्टडी में रहेगी और इनके स्वरूप में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।

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