याद रहेंगे ‘डिस्को किंग’ बप्पी लाहिड़ी 

मुम्बई । भारत में 80 और 90 के दशक में सिनेमा में डिस्को संगीत को लोकप्रिय बनाने वाले गायक-संगीतकार बप्पी लाहिड़ी का स्वास्थ्य संबंधी कई दिक्कतों के कारण निधन हो गया। उनका इलाज कर रहे एक डॉक्टर ने बुधवार को यह जानकारी दी। वह 69 वर्ष के थे। गायक व संगीतकार ने पिछले साल सितंबर में उन खबरों को खारिज कर दिया था कि उन्होंने अपनी आवाज खो दी है। उन्होंने ऐसी अफवाहों को दिल तोड़ने वाली बताया था।
सोने की मोटी जंजीरें और चश्मा पहनने के लिए पहचाने जाने वाले गायक-संगीतकार ने 70-80 के दशक में कई फिल्मों के लिए संगीत रचना की जिन्हें खासी लोकप्रियता मिली। इन फिल्मों में ‘‘चलते-चलते’’, ‘‘डिस्को डांसर’’ और ‘‘शराबी’’ शामिल हैं। लाहिड़ी के परिवार में उनकी पत्नी चित्राणी, पुत्री रीमा और पुत्र बप्पा लाहिड़ी हैं।

लाहिड़ी ने आखिरी बार सितंबर 2021 में ‘‘गणपति बप्पा मोरिया’’ में काम किया था। उन्होंने अमेरिका स्थित भारतीय गायक अनुराधा जुजु पलाकुर्ती की आवाज वाले भक्ति गीतों के लिए भी संगीत दिया। लाहिड़ी को 1970 से लेकर 1990 के दौरान भारतीय सिनेमा में ‘‘आय एम ए डिस्को डांसर’’, ‘‘जिम्मी जिम्मी’’, ‘‘पग घुंघरू’’, ‘‘इंतेहा हो गयी’’, ‘‘तम्मा तम्मा लोगे’’, ‘‘यार बिना चैन कहां रे’’, ‘‘आज रपट जाए तो’’ तथा ‘‘चलते चलते’’ जैसे गीतों से डिस्को संगीत का दौर शुरू करने का श्रेय दिया जाता है।
उन्होंने 2000 के दशक में ‘‘टैक्सी नंबर 9211’’ (2006) का ‘‘बम्बई नगरिया’’ और ‘‘द डर्टी पिक्चर’’ (2011) के ‘‘उह ला ला’’ जैसे हिट गीतों को भी अपनी आवाज दी। वह उन गायकों में से एक हैं जिन्होंने 2014 में आयी फिल्म ‘‘गुंडे’’ का ‘‘तूने मारी एंट्रियां’’ गीत भी गाया था। उन्होंने बंगाली, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और गुजराती फिल्मों में भी संगीत दिया।
लाहिड़ी 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए। उन्होंने श्रीरामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी से हार गए। उनका आखिरी बॉलीवुड गीत 2020 में आयी फिल्म ‘‘बागी 3’’ का ‘‘भंकास’’ था।
उन्हें बॉलीवुड में संगीत का एक नया अंदाज पेश करने वाले कलाकार के तौर पर याद किया। लाहिड़ी को उनके प्रशंसक प्यार से ‘बप्पी दा’ बुलाते थे।

लाहिड़ी का जन्म पश्चिम बंगाल के कलकत्ता में संगीतकारों के एक परिवार में 1952 में हुआ। लाहिड़ी का संगीत के प्रति प्रेम तीन वर्ष की आयु में ही शुरू हो गया था जब उन्होंने तबला बजाना शुरू किया।
उनके लिए ‘‘पग घुंघरू’’ और ‘‘चलते चलते’’ जैसे गीत गाने वाले मशहूर गायक किशोर कुमार उनके ‘‘मामा’’ थे। न केवल हिंदी फिल्मों में बल्कि लाहिड़ी बंगाली सिनेमा में भी लोकप्रिय नाम थे, जहां उन्होंने 1972 में आयी फिल्म ‘‘दादू’’ से अपने करियर की शुरुआत की। बतौर संगीतकार उनकी पहली हिंदी फिल्म 1973 में आयी ‘‘नन्हा शिकारी’’ थी। ‘‘जख्मी’’ फिल्म के लिए गाना गाने और संगीत देने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

‘‘जख्मी’’ के बाद उन्हेांने ‘‘चलते चलते’’, ‘‘सुरक्षा’’ और अन्य फिल्मों में काम किया और उनका डिस्को संगीत युवाओं के बीच इतना लोकप्रिय हुआ कि उन्हें भारत के ‘‘डिस्को किंग’’ की उपाधि दे दी गयी। गायक ने 2019 में एक साक्षात्कार में कहा था कि वह अपने युग के कुछ बड़े सितारों के लिए गाना गाने को लेकर खुद को भाग्यशाली मानते हैं।
उन्होंने कहा था, ‘‘मुझे यह सफर तय करके और इंडस्ट्री में अत्यधिक प्रतिभाशाली लोगों के साथ काम करके काफी गर्व महसूस होता है। मैंने दिलीप कुमार से लेकर रणवीर सिंह तक के लिए काम किया। ‘धर्म अधिकारी’ से लेकर ‘गुंडे’ तक में काम किया है।’’

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