लाल बहादुर शास्त्री….जिनकी जरूरत हमें आज तक है

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 2 अक्टूबर को 118वीं जयंती मनायी गयी। महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री का जन्म एक ही दिन हुआ था। दोनों ने ही अपना पूरा जीवन इस देश के लिए समर्पित कर दिया। शास्त्री जी का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर, 1904 को शारदा प्रसाद और रामदुलारी देवी के घर हुआ था। देश की आजादी में लाल बहादुर शास्त्री का खास योगदान है। साल 1920 में शास्त्री जी भारत की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे और स्वाधीनता संग्राम के जिन आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। इनमें मुख्‍य रूप से 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी मार्च और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन उल्लेखनीय हैं। शास्त्री ने ही देश को ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था।

1. बचपन में ही पिता की मौत होने के कारण वे अपनी मां के साथ नाना के यहां मिर्जापुर चले गए। यहीं पर ही उनकी प्राथमिक शिक्षा हुई। उन्होंने विषम परिस्थितियों में शिक्षा हासिल की। कहा जाता है कि वह नदी तैरकर रोज स्कूल जाया करते थे। क्योंकि उस समय बहुत कम गांवों में ही स्कूल होते थे।
2. भारत में गहरी जड़ें जमाने वाली जाति-व्यवस्था का विरोध करते हुए, 12 वर्ष की आयु में, 1917 में, उन्होंने अपना उपनाम ‘श्रीवास्तव’ छोड़ दिया। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्हें ‘शास्त्री’ की उपाधि दी गई, जिसका अर्थ है विद्वान।

3. 15 अगस्त 1947 को वे पुलिस और परिवहन मंत्री बने। उनके कार्यकाल के दौरान पहली बार महिला कंडक्टरों की नियुक्ति की गई थी। उन्होंने ही अनियंत्रित भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठियों के बजाय पानी के जेट के इस्तेमाल का सुझाव दिया था।
4. आधिकारिक उपयोग के लिए उनके पास शेवरले इम्पाला कार थी। एक बार उनके बेटे ने ड्राइव के लिए कार का इस्तेमाल किया। जब शास्त्री को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने अपने ड्राइवर से कहा कि कार का इस्तेमाल निजी इस्तेमाल के लिए कितनी दूरी पर किया गया और बाद में सरकारी खाते में पैसे जमा कर दिए गए।
5. 1952 में वे रेल मंत्री बने, लेकिन 1956 में तमिलनाडु में एक ट्रेन दुर्घटना में लगभग 150 यात्रियों की मौत के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं दूध के उत्पादन और आपूर्ति को बढ़ाने के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने श्वेत क्रांति को बढ़ावा दिया। साथ ही भारत के खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने हरित क्रांति को बढ़ावा दिया।
6. लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बनने के बाद 1965 में भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ जिसमें शास्त्री जी ने विषम परिस्थितियों में देश को संभाले रखा। सेना के जवानों और किसानों महत्व बताने के लिए उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा भी दिया।
7. आजादी के बाद वे 1951 में नई दिल्ली आ गए और केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई विभागों का प्रभार संभाला। वह रेल मंत्री, परिवहन एवं संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री एवं नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री भी रहे।
8. जब वे प्रधानमंत्री थे, तो उनके परिवार ने उन्हें एक कार खरीदने के लिए कहा था। उन्होंने जो फिएट कार खरीदी वह 12,000 रुपये में थी। चूंकि उनके बैंक खाते में केवल 7,000 रुपये थे, इसलिए उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से 5,000 रुपये के बैंक ऋण के लिए आवेदन किया। कार को आज नई दिल्ली के शास्त्री मेमोरियल में रखा गया है।
9. भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश में अन्न की कमी हो गई। देश भुखमरी की समस्या से गुजरने लगा था। इस संकट के समय में लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी तनख्वाह लेनी बंद कर दी और उन्‍होंने देश के लोगों से अपील की कि वो हफ्ते में एक दिन एक वक्त व्रत रखें। उनकी अपील को अच्छी प्रतिक्रिया मिली और सोमवार शाम को भोजनालयों ने शटर बंद कर दिए और जल्द ही लोगों ने इसे ‘शास्त्री व्रत’ कहना शुरू कर दिया।
10. लाल बहादुर शास्त्री जी 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार के महज 12 घंटे बाद (11 जनवरी) को अंतिम सांस ली थी। उनकी मृत्यु को आज भी एक रहस्य माना जाता है। वह मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित होने वाले पहले व्यक्ति थे।
(साभार – नवभारत टाइम्स)

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