वैज्ञानिक प्रकाशन – वैश्विक रैंकिंग में 7वें से तीसरे स्थान पर पहुंचा भारत

नयी दिल्ली । भारत वैज्ञानिक प्रकाशनों की वैश्विक रैंकिंग में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंत्रालय के कामकाज की समीक्षा के बाद इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अमेरिका के ‘नेशनल साइंस फाउंडेशन’ (एनएसएफ) के विज्ञान और इंजीनियरिंग संकेतक 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिक प्रकाशनों में विश्व स्तर पर भारत की स्थिति 2010 में सातवें स्थान से सुधरकर 2020 में तीसरे स्थान पर आ गई। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के शोध पत्रों की संख्या 2010 में 60,555 से बढ़कर 2020 में 1,49,213 हो गई। वहीं, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) को आगामी केंद्रीय बजट 2023-24 में पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक आवंटन मिलने की संभावना है।
तीन वर्षों से लगातार बढ़ रही पेटेंट की संख्या
मंत्री ने बताया कि साइंस और इंजीनियरिंग में पीएचडी की संख्या के मामले में भारत की रैंकिंग तीसरी हो गई है। भारतीय पेटेंट ऑफिस (आईपीओ) से भारतीय वैज्ञानिकों को मिलने वाले पेटेंट की संख्या में भी पिछले तीन वर्षों से वृद्धि दर्ज की जा रही है। उन्होंने बताया कि 2018-19 में 2,511, 2019-20 में 4003 जबकि 2020-21 में 5,629 पेटेंट भारतीय वैज्ञानिकों के नाम से दर्ज हुए हैं।
साइंस-टेक्नोलॉजी के लिए बढ़ा बजट
पिछले बजट में डीएसटी को 6,002 करोड़ रुपये मिला था जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय को मिले कुल 14,217 करोड़ रुपये के बजट का 42 प्रतिशत है। वहीं, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग को 5,636 करोड़ रुपये आवंटित हुए जो मंत्रालय के कुल आवंटन का 40 प्रतिशत है। वहीं, 18 प्रतिशत यानी 2,581 करोड़ रुपये की राशि बायोटेक्नॉलजी डिपार्टमेंट को दी गई।
जीआईआई रैंकिंग में भी जबर्दस्त सुधार
ध्यान रहे कि नैशनल साइंस फाउंडेशन अमेरिकी सरकार की एक स्वतंत्र एजेंसी है जो चिकित्सा से इतर साइंस और इंजीनियरिंग के सभी क्षेत्रों में मौलिक अनुसंधान एवं शिक्षण को बढ़ावा देती है। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) 2022 में भी भारत की जीआईआई रैंकिंग भी जबर्दस्त तरीके से सुधरी है। वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन (विपो) की ओर से की जाने वाली जीआईआई रैंकिंग में भारत 2022 में 40वें स्थान पर पहुंच गया है जो 2014 में 81वें स्थान पर था।

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