संरचना और न्यायाधीशों की कमी से जूझ रही हैं देश की निचली अदालतें

नयी दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट को बताया गया है कि देश भर की निचली अदालत में भारी संख्या में जजों के पद खाली हैं। यही नहीं इन्फ्रास्ट्रक्चर का भी भारी अभाव है। सुप्रीम कोर्ट में कोर्ट सलाहकार ने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए इन बातों का जिक्र किया है। चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच में कोर्ट सलाहकार ने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए कहा है कि देश भर में अदालतों में जजों के पद काफी संख्या में खाली हैं साथ ही इन्फ्रास्ट्रक्चर की भी कमी की बात कही।
बड़ी संख्या में जजों की कमी
सुप्रीम कोर्ट में मलिक मजहर सुल्तान केस में एक आवेदन दाखिल किया गया था और यह सवाल सुप्रीम कोर्ट के सामने उठा था तब से सुप्रीम कोर्ट ने लगातार निचली अदालतों में जजों की संख्या और इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में मॉनिटरिंग की है। कोर्ट ने इस मामले में सीनियर एडवोकेट विजय हंसारिया को कोर्ट सलाहकार बनाया था और इस मामले में समग्र रिपोर्ट पेश करने को कहा था। कोर्ट सलाहकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शीर्ष अदालत लगातार ज्यूडिशियल ऑफिसर की नियुक्ति से लेकर इन्फ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने के लिए लगातार निर्देश जारी किए हैं और टाइम लाइन फिक्स की हैं। बावजूद इसके बड़ी संख्या में वैकंसी बनी हुई है। ज्यूडिशियल ऑफिसर के रेजिडेंस पर भी इन्फ्रास्ट्रक्चर का काफी है। कोर्ट सलाहकार ने फिलहाल छह राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेश के बारे में डिटेल रिपोर्ट पेश की है।
लम्बित मुकदमे
सुप्रीम कोर्ट 6,95,11
हाई कोर्ट 59,55,905
निचली अदालतें 4,13,000,00
जजों की वैकंसी चौकाने वाली
जहां तक जजों के वैकंसी की बात है तो सुप्रीम कोर्ट में कुल सेंक्शन पद 34 हैं और इनमें अभी 27 जज के पद भरे हुए हैं, यानी सात पद खाली हैं। देश भर के सभी 25 हाई कोर्ट में कुल सेंक्शन पद 1,108 है और इनमें 769 पद भरे हुए हैं और 339 पद खाली हैं। सबसे ज्यादा वैकंसी इलाहाबाद हाई कोर्ट में है। यहां कुल सेंक्शन पद 160 हैं जिनमें 62 पद खाली पड़े हुए हैं। दिल्ली हाई कोर्ट में 60 सेंक्शन पद में 15 खाली हैं। गुजरात हाई कोर्ट में कुल 52 सेंक्शन पद में लगभग आधी यानी 25 खाली हैं। निचली अदालत में लगभग 5000 हजार पद खाली हैं।
अदालत पर जरूरत से ज्यादा बोझ
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट एम. एल. लाहौटी बताते हैं कि अदालतों पर केस का का जरूरत से ज्यादा बोझ है। अगर निचली अदालत में देखेंगे तो एक कोर्ट में 100 से ज्यादा मैटर एक दिन में लगे होते हैं। समय के साथ लिटिगेशन काफी ज्यादा बढ़ा है और इस कारण कोर्ट की संख्या भी बढ़ाने की जरूरत है। लेकिन जो सेंक्शन पद हैं उन्हें समय पर भरना बहुत जरूरी है। जजों के कॉन्फ्रेंस में चीफ जस्टिस ने पिछले साल देश भर में पेंडिंग केसों पर चिंता जताई गई थी और कहा गया थाकि जजों पर केस का भारी बोझ है।
(साभार – नवभारत टाइम्स)

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