सरस्वती नदी को वापस लाने में जुटे दर्शन लाल

यमुनानगर : कुछ लोग समाज की सेवा करने के लिए पैदा होते हैं और दर्शन लाल जैन उन दुर्लभ लोगों में से एक हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया और समाज कल्याण के सभी पहलुओं में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। विशेषतौर पर गरीब व वंचित वर्ग की शिक्षा के लिए काम किया। इसके अलावा सरस्वती नदी के पुनरुद्धार के लिए संघर्ष किया।यमुनानगर जिले के सामाजिक योद्धा और आरएसएस के दिग्गज दर्शन लाल जैन (92 वर्ष) को केंद्र सरकार ने पद्मभूषण दिया है। दर्शनलाल जैन का जन्म 12 दिसंबर 1927 को जगाधरी शहर में एक धार्मिक और उद्योगपति जैन परिवार में हुआ। लोग उन्हें बाबूजी के नाम से भी पुकारते हैं। बचपन से ही देशभक्ति की भावना के चलते वे आरएसएस के संपर्क में आएं। वह महात्मा गांधी से बहुत प्रेरित रहे और ब्रिटिश शासन के दौरान जब स्वतंत्रता सेनानी के प्रतीक के रूप में जब खादी पर प्रतिबंध था तो वे स्कूल में खादी पहनकर जाते थे। 15 साल की उम्र में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ काम करने पर उन्हें 1975-1977 में आपातकाल के दौरान जेल में रखा गया था। इस दौरान सशर्त रिहा करने के सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था।
एमएलसी और राज्यपाल का पद ठुकराया
उनका सक्रिय राजनीति में शामिल होने की ओर झुकाव कभी नहीं था और 1954 में जनसंघ द्वारा एमएलसी सुनिश्चित सीट के लिए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। बाद में उन्हें तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा राज्यपाल बनाने की पेशकश भी की गई, लेकिन उन्होंने पद भी स्वीकार नहीं किया।
उन्होंने समाज की शिक्षा की दिशा में काम किया और 1954 में सरस्वती विद्या मंदिर की स्थापना की। साल 1957 में क्षेत्र के पहले डीएवी कॉलेज फॉर गर्ल्स के संस्थापक सदस्य बने। उन्होंने लगभग 20 वर्षों तक भारत विकास परिषद हरियाणा, विवेकानंद रॉक मेमोरियल सोसायटी, 30 साल तक वनवासी कल्याण आश्रम के साथ-साथ ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में हरियाणा के लगभग 100 स्कूल और गीता निकेतन एजूकेशन सोसायटी का नेतृत्व भी किया। उनकी एक और उपलब्धि रही टप्पा गांव (अंबाला) में नंद लाल गीता विद्या मंदिर। यह विद्यालय 1997 में अपनी स्थापना के बाद से हरियाणा, नॉर्थ ईस्ट और जम्मू-कश्मीर के जरूरतमंद और बुद्धिमान छात्रों को मुफ्त शिक्षा और मुफ्त बोर्डिंग प्रदान कर रहा है। उन्होंने मेवात जिले के नूंह में हिंदू हाई स्कूल को भी पुनर्जीवित किया जिसके कारण हरियाणा के मेवात क्षेत्र में कई नए स्कूल खुल गए।
सरस्वती नदी को वापस लाने में जुटे
लगभग 40 वर्षों तक आरएसएस के अध्यक्ष पद पर रहने के बाद उन्होंने 2007 में उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के कारण 80 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद खुद को इस पद से मुक्त कर लिया। उन्होंने 1999 में सरस्वती नदी शोध संस्थान की स्थापना की और सरस्वती पुनरुद्धार परियोजना शुरू की। तब से वह पवित्र नदी सरस्वती की महिमा को वापस लाने में लगे हुए हैं। दर्शन लाल जैन का कहना है कि सरस्वती पुनरुद्धार में तेजी तब आई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रख्यात भू विज्ञानी पदमश्री केएस वाल्डिया की अध्यक्षता में प्रख्यात वैज्ञानिकों की एक केंद्रीय सलाहकार समिति का गठन किया और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा सरस्वती हेरिटेज डेवलपमेंट बोर्ड की स्थापना भी की। दर्शन लाल ने 2007 में राष्ट्र के विस्मृत नायकों को याद करने के लिए योद्धा सम्मान समिति का गठन किया।
(साभार – अमर उजाला)

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