हम सब में कुछ कर गुजरने की अपूर्व क्षमता है

शिक्षण, पत्रकारिता, रंगमंच से लेकर उद्यमी बनने का सफर तय किया है पीहू पापिया ने। इस समय प्रतिष्ठित क्ष्री चैतन्य स्कूल, डनलप शाखा की हिन्दी की शिक्षिका हैं। जनवरी 2019 में हिन्दी ज्ञान, हिन्दी कार्य और हिन्दी कारवाँ संस्था द्वारा आयोजित हिन्दी शिक्षण प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित हुईं। 2017 के दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में पहली पुस्तक का विमोचन हुआ है। रॉक क्लाइम्बिंग के रोमांचक खेल को भी आजमाया है। पापिया ने सफलतापूर्वक पश्चम बंगाल के पुरुलिया जिले में स्थित दो पहाड़ जयचंडी (2003) और माटाबुरो (2004) की चढ़ाई की है। बिंग विमेन संगठन की ओर से फलक 2019 के अंतर्गत नयी दिल्ली में स्वयं सिद्धा सम्मान (पश्चिम बंगाल) से सम्मानित हो चुकी हैं। पीहू पापिया से अपराजिता की मुलाकात, पेश हैं प्रमुख अंश –

मेरे बारे में
जन्म 2 फरवरी 1981, कोलकाता में हुआ। स्कूल केन्द्रीय विद्यालय बैरकपुर (वायुसेना) जिसे मिनी इंडिया कहती हूं। मेरा मानना है कि प्राथमिक तौर पर व्यक्तित्व निर्माण में स्कूल की महत्वपूर्ण भूमिका रहती। प्रेसीडेंसी कालेज, कोलकाता से पढ़ी फिर विश्वविद्यालय कलकत्ता विश्व विद्यालय से एम ए किया। कुछ अलग करने का जज्बा है। बेटी आर्या को एक बेहतर जिन्दगी व भविष्य देने का सपना है। दुनिया घूमने की चाहत है।
मीडिया में होता है भेदभाव
सच कहूँ तो मीडिया जगत से जुड़ने की कई वजहें थीं। एक जुनून, एक रोमांच सा खुद के अंदर महसूस करती थी, लेखन जगत को और संजीदगी से लेने से पहले बहुत सीखना चाहती थी। साथ ही मुझे ट्रेवलिंग यानी सफर का बहुत शौक है। इसलिए स्कूली दिनों में ही पत्रकारिता को अपना भावी पेशा चुन लिया था। यहाँ से मैंने बहुत कुछ जाना, सीखा और समझा। सन्मार्ग, प्रभात खबर, युवा शक्ति आदि समाचार पत्रों के साथ संलग्न रही। मैं नियमित क्षेत्र नहीं छोड़ना चाहती थी परन्तु कुछ निजी कारणों से मुझे ऐसा करना पड़ा जिसका मुझे अफसोस है। बच्चे मेरे दिल की धड़कन हैं। शायद उनका प्यार मुझे शिक्षा जगत में खींच लाया। पर जिन्दगी का सफर बड़ा ही अप्रत्याशित है। देखते है आगे के सफर में मेरे लिए क्या सरप्राइज छिपा है। आठ वर्ष पत्रकारिता के क्षेत्र में काम किया है। कई तरह के अनुवाद कार्य किये हैं जिसमें एक बंगला फिल्म की पटकथा का अनुवाद, लेख, विज्ञापन, समाचार, राजनीतिक प्रचार सामग्री, किताब, स्लोगन आदि शामिल है। मैं अँग्रेजी से हिन्दी व बांग्ला से हिन्दी में अनुवाद करती हूँ। मेरे ब्लॉग का नाम जुनूनी फितूर है। मेरी कलम को वहाँ प्राण मिलते हैं। महिला पत्रकारों की स्थिति पर बात करूँ तो मैं जानती हूँ पेशेवर जगत में आज भी राज्य, क्षेत्र, जिला, लिंग (जेंडर) को लेकर भेदभाव होता है। हर किसी को अपनी काबिलयत दिखाने का मौका मिलना चाहिए। साथ ही मैं मानती हूँ कि महिला सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा का अधिकारों का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए।
खुद को सीमाओं में बांधना पसंद नहीं
मैं स्वयं को खुशनसीब मानती हूँ कि ईश्वर ने मुझे हुनर दिये। इसलिए खुद को सीमाओं में बांधना पसंद नहीं। आज अगर मुझे कोई पुछता है कि क्या कर रही हो तो मैं कहती हूँ ” exploring life” यानी जीवन की खोज में निकली हूँ। इस छोटी सी जिन्दगी में नकारात्मक में वक्त बरबाद क्यों किया जाए। जी भर कर जी लेना चाहिए। कृत्रिम गहने बनाने का व्यवसाय शुरू करना मेरे उसी सफर का हिस्सा है। इसमें लेखन की तरह सृजन का सुकून मिलता है। मेरे ब्रांड का नाम “पीहू – हैंड मेड ट्रेजर” है, जो शनैः शनैः लोकप्रियता अर्जन कर रहा है। मैं ” औरा स्टूडियो” नामक फैशन फोटोग्राफी हाउस के लिए मॉडलों के लिए फैशन ज्वेलरी और एक्ससरीज़ डिजाइन करती व बनाती हूँ।


रंगमंच से नाता स्कूली दिनों से जुड़ गया था
रंगमंच से नाता स्कूली दिनों से जुड़ गया था। अब यह मेरे वजूद का हिस्सा बन गया है। तीन साल पहले अपने नाटक दल “कालकूट” का गठन किया था और कोलकाता के हिन्दी मेला में ‘दादी माँ का भूत’ नाटक का मंचन किया था। बच्चों के साथ काम करना बहुत भाता है। जिन्दगी की आपाधापी में शायद नियमित मंचन न कर पाऊँ पर जब-जब मंच मुझे बुलाता है निकल पड़ती हूँ एक नये यादगार सफर पर। भविष्य के कई सपने मन में संजो रखें हैं, देखते हैं कब पूरा करने का मौका मिले। मेरा एक छोटा नाटक दल है “कालकूट”। मौका मिलते ही मंच के रोमांच से रूबरू हो जाते हैं। 2016 दिसम्बर में सांस्कृतिक पुर्ननिर्माण मिशन कोलकाता द्वारा आयोजित “हिन्दी मेला” में कालकूट ने “दादी माँ का भूत” नाटक प्रस्तुत किया था जो वृद्ध व बुजुर्गों की अवस्था पर केन्द्रित था। इस नाटक के लिए मुझे “सर्वश्रेष्ठ निर्देशक” का पुरुस्कार मिला था। मैंने बांग्ला फिल्म “नॉट ए डर्टी फिल्म” में प्रसिद्ध बंगला अभिनेत्री माधवी चट्टोपाध्याय की आवाज की हिन्दी में डबिंग की है।

किसी भी प्रकार के आरक्षण के खिलाफ हूँ
मैं किसी भी प्रकार के आरक्षण के खिलाफ हूँ। कोई भी क्षेत्र या मामला हो, निर्णय मेधा से होना चाहिए। इससे गुणवत्ता बरकरार रहती है जो विकास की गति को भी बढ़ावा देती है। पुरुषों और स्त्रियों में शारीरक बल में भिन्नता है, बस उसमें एक पैमाना निर्धारित कर दिया जाए। यहाँ तक की शिक्षा, नौकरी आदि में भी कोई आरक्षण नहीं होना चाहिए। अगर हो भी तो जातिगत नहीं आर्थिक स्थिति पर हो ताकि अमीर-गरीब का भेद मिटे और सभी रूप से प्रगति कर सकें।
सशक्तिकरण की परिभाषा
मेरे लिए सशक्तिकरण की परिभाषा है – आर्थिक आत्मनिर्भरता। घर हो या बाहर कर्म की संस्कृति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। कोई भी व्यक्ति हो वह बिना कर्म किए बैठा न रहे। कोई भीख न माँगे। इससे देश की प्रगति में हमारी हिस्सेदारी और बढ़ेगी। देश फिर से सोने की चिड़िया बन जायेगा।
लेखन क्षेत्र
एक काव्य संग्रह ” जिन्दा हूँ” प्रकाशित हो चुका है। अभी एक लघुकथा संग्रह, दो काव्य संग्रह, एक उपन्यास व एक बाल काव्य संग्रह पर काम कर रही ही। सारी बाधाओं से उभर कर जल्द ही पाठकों तक पहुँचाऊंगी। अयन प्रकाशन, नयी दिल्ली द्वारा अयन प्रकाशन की ओर से “कविता अभिराम” में चार कविता संकलित। मैं पीहू के नाम से ही लिखती हूँ। यह एक काव्य-संग्रह है। आने वाली किताबों पर अभी काम कर रही हूँ। रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुईं।
मेरी ताकत
मेरी बेटी का प्यार, माता-पिता का बगैर किसी शर्त के सम्बल, मेरे गाड ब्रदर मानस भइया, मेंटर अनुपम भइया, मित्रों का कठिन वक्त में साथ और प्रेम मुझे जूझने की ताकत देता है।
भविष्य योजना
भविष्य में मेरे चाहने वालों के लिए बहुत सरप्राइज पड़े हैं जिनको अभी उजागर नहीं करुँगी। वैसे लेखन, ज्वेलरी डिजाइन व्यवसाय, फिल्म, संगीत, शिक्षा, अभिनय, रंगमंच आदि क्षेत्रों में बहुत काम करना है।
सन्देश
खुद को कम न आँकें। हम सब में कुछ कर गुजरने की अपूर्व क्षमता है। जिस दिन आप ऐसा कर लेंगे आपको अपने हर हौसले के आगे जीत दिखेगी।

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।