हल्की सी मुस्कुराहटें…

– प्रीति साव

ये हल्की सी मुस्कुराहटें
चिन्ताओं से मुक्ति का
देती है एहसास
न होती
किसी की तलाश
न कोई चाह
ये मुस्कुराहटें भी
कितनी अजीब है।
यह देती है
सुकून ,
यह खो देती है
खुद को
जिंदगी की महफ़िलों में,
दिल में
जगाती है उमंग
जीने की,
ये हल्की सी मुस्कुराहटें ।
यह भी कितनी
बेवजह होती है न,
फिर भी छिपी होती है
इसके पीछे
कोई न कोई वजह।
वजह, वजह क्या है?
वजह है,
मेरी जिन्दगी की
बीते हुए कुछ लम्हें,
वजह है
किसी की कही हुई बातें ,
वजह है
उन जगहों, उन गलियों से
गुज़रे हुए
कुछ अच्छी यादें ,
इन्हीं सब वजहों के पीछे छिपी है,
मेरी ये
हल्की सी मुस्कुराहटें।।

निखिता पांडेय