हादसे में दोनों पैर और एक हाथ गंवाये, यूपीएससी में चमका सूरज

917वीं रैंक हासिल की
मैनपुरी । उत्तर प्रदेश मैनपुरी के सूरज तिवारी ने 2017 में गाजियाबाद के दादरी में एक ट्रेन दुर्घटना में अपने दोनों पैरों के साथ-साथ अपने दाहिने हाथ और बाएं हाथ की दो अंगुलियों को खो दिया था।
हादसे के बाद भी हिम्मत न हारते हुए सूरज ने लाखों युवाओं को रोशनी दिखाते हुए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की है। सूरज तिवारी की सफलता पर उनके पिता रमेश कुमार तिवारी कहते हैं कि मैं आज बहुत खुश हूं, मेरे बेटे ने मुझे गौरवान्वित किया है। वह बहुत बहादुर है। उसकी तीन उंगलियां ही काफी हैं। उन्होंने बताया कि घटना के बाद भी उसका मन कभी छोटा नहीं हुआ। वह हमेशा कहता था कि आप लोग घबराए मत। सूरज जैसा बेटा हर घर में पैदा हो।
मां बोलीं- सूरज कहता था, चिंता मत करिए, मैं बहुत पैसा कमाऊंगा
सूरज तिवारी की मां आशा देवी तिवारी कहती हैं कि मेरा बेटा बहुत बहादुर है। सूरज ने कभी हार नहीं मानी और अपने जीवन में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत की। वह हमेशा अपने छोटे भाई-बहनों को कड़ी मेहनत करने के लिए कहता है। सूरज की मां ने कहा कि उसके हौसले बुलंद थे, घटना के बाद भी उसने कभी हिम्मत नहीं हारी बल्कि उसने हमें ही हौसला दिलाया कि आप चिंता मत करिए मैं बहुत पैसा कमाऊंगा।
सूरज तिवारी मैनपुरी के कुरावली नगर के घरनाजपुर मोहल्ला के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी दिव्यांगता की परवाह न करते हुए यूपीएससी परीक्षा में 917वीं रैंक हासिल की। उनकी इस सफलता पर आम से लेकर खास तक ने उन्हें बधाई दी है।
सूरज तिवारी की प्रारंभिक शिक्षा कुरावली नगर के महर्षि परशुराम स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने 2011 में एसबीआरएल इंटर कॉलेज मैनपुरी से हाईस्कूल परीक्षा पास की। इसके बाद 2014 में संपूर्णानंद इंटर कॉलेज अरम सराय बेवर से 12वीं की परीक्षा पास की। 2021 में उन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से बीए किया। सूरज तिवारी के पिता राजेश तिवारी पेशे से दर्जी हैं।
वहीं, यूपीएससी में सफलता हासिल करने वाले सूरज का कहना है कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हो, कुछ भी हो, हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। घबराकर कभी अपना मनोबल नहीं तोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूपीएससी की परीक्षा में सफलता के लिए बिना किसी कोचिंग और क्लासेज के मैंने 18 से 20 घंटे तक पढ़ाई की।

 

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