हिन्दी दिवस पर विशेष : हिन्दी

बब्बन

प्रयागराज/इलाहाबाद

(१)
अपने भारत देश महान में,
उल्लिखित आठवीं अनुसूची जो संविधान में,
विराजमान 22 भाषाएं,
हम सम्मान पूर्वक इन्हें यूं बताएं

असमी,उड़िया, गुजराती, बँगाली,
कन्नड़ ,बोड़ो,संस्कृत, संथाली।
पंजाबी, मलयालम, मराठी, मैथिली,
तमिल, तेलगू, उर्दू ,नेपाली।
इसी कड़ी मे कोंकणी, मणिपुरी।
जुड़ी हुई डोगरी, कश्मीरी।
और सुशोभित सिन्धी है।
ऐ भाषाएँ भारत माँ के गहने हैं।
और सभी आपस मे बहनें हैं।
इन बहनों के माथे की जो बिन्दी है,
वह हमारी भाषा हिंदी है।
(२)
आजादी जब मिली वतन को,
तो राष्ट्रभाषा हिन्दी ही होगी,
सबने कसमें खाती थी।
यही वह भाषा है जिसमें,
क्रान्ति ने लिया अंगड़ाई थी।
आजादी के हर योद्धा ने,
हिंदी की महिमा गाई थी।
जन-जन की सम्पर्क कड़ी बन,
स्वतन्त्रता हिन्दी ने ही दिलायी थी।
हिन्दुस्तान की पहचान यह भाषा,
यहीं की मूल वसिन्दी है।
राजभाषा गद्दी की असली वारिस,
हिन्द की भाषा हिन्दी है।
(३)
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद देश में,
हिन्दी का हुआ न उचित सम्मान।
अंग्रेज़ यहां से चले गए,
पर उनकी भाषा रही विराजमान।
सिंहासन पर जिसको होना था,
होता रहा उसका अपमान।
राजनेताओं के कुचक्र से,
हिन्दी हुई बहुत परेशान।
घुट घुट कर रह मरने वाली,
अधमरी होकर भी ज़िन्दी है।
राष्ट्रभाषा की जायज अधिकारिणी,
मातृभाषा हमारी हिन्दी है।

(४)
यह ऐसी भाषा है,
जिससे होता अभिव्यक्ति और विकास।
भावों के प्रकटीकरण का,
यह करती है सफल प्रयास।
राष्ट्र भाषा बिन गूँगा मुल्क है,
इससे बड़ा नहीं संत्रास।
बिन भाषा सम्मान ,देश अवनति पथ पर,
देखो उठाकर तुम इतिहास।
अपनों से ही पाकर उपेक्षा,
यह दशकों से हुयी शर्मिन्दी है।
अधिकतम प्रतिष्ठा की प्रबल अधिकारिणी,
वह भाषा हमारी हिंदी है।
(५)
अपने पूरे प्रवाह को पाकर,
देगी यह जन जन को जोड़।
वोट के खातिर कुछ स्वार्थी नेता,
इसके महत्व को देते तोड़ मरोड़।
76 प्रतिशत जनता इसे समझती है,
बोलते हैं इसे लोग साठ करोड़।
प्रगति पथ पर इसे ले जाना है,
रखकर अपने मन में होड़।
22 भाषाओं की सरिता में,
सात लाख शब्दों की मल्लिका,
यह अविरल कालिन्दी है।
गंगोत्री की गंगा जल सी पवित्र,
यह मेरी भाषा हिंदी है।
(६)
राष्ट्रीय एकता सुदृढ़ होगी,
भारत देश बनेगा महान।
संसद से लेकर डगर डगर तक,
गर दोगे हिन्दी को सम्मान।
हिन्दी हमारी मातृभाषा है,
अंग्रेजी को मत समझो शान।
हिन्दी में सब कार्य करेंगे,
आज से लिजिए मन में ठान।
मातृभूमि की तरह हमारी,
मातृभाषा भी अभिनन्दी है।
भारतीय भाषाओं में जो सबसे सशक्त है,
वह भाषा केवल हिन्दी है।

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