16 जनवरी से शुरू होने जा रहा है कोरोना टीकाकरण अभियान

नयी दिल्ली : 16 जनवरी से टीकाकरण अभियान की शुरुआत की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 महामारी की ताजा स्थिति और सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों तक कोरोना वैक्सीन पहुंचाने की तैयारियों की समीक्षा की है। हालांकि, पीएम के ही लोकसभा क्षेत्र में ड्राइ रन के दौरान एक तस्वीर सामने आई जो चिंता में डालने वाली है। वहां नकली कोविड वैक्सीन को साइकिल से ढोया गया था। वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के साथ गत गुरुवार को हुई बैठक में राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने अपने-अपने राज्य में अभियान को सफल बनाने को लेकर अलग-अलग तरह की चुनौतियों का जिक्र किया था। आइए जानते हैं कि देश में टीकाकरण अभियान की राह में कौन-कौन सी चुनौतियां सामने आ सकती हैं…

पहले चरण में भारत के 30 करोड़ लोगों को जुलाई 2021 तक कोरोना का टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया है। स्वास्थ्यकर्मियों, अग्रिम मोर्चों पर तैनात कर्मियों, 50 वर्ष से अधिक की उम्र के बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से पीड़तों को पहले चरण में ही टीका लगाने का लक्ष्य निर्धारित है। अभी एस्ट्राजेनेका की कोवीशील्ड का ही सबसे ज्यादा उपयोग होगा। इसे चार हफ्तों के अंतराल पर दो डोज दिए जाएंगे। यानी, पहले चरण में 60 करोड़ डोज वैक्सीन की जरूरत होगी। भारत में कोवीशील्ड की निर्माता कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने कहा है कि उसने 5 से 7 करोड़ डोज स्टोर कर रखा है जबकि अन्य देशों को निर्यात के लिए जुलाई महीने तक 50 करोड़ डोज तैयार करने की योजना है।सीरम इंस्टिट्यू के सीईओ अदार पूनावाला ने पहले ही आशंका जताई थी कि जून 2021 तक टीके की कमी हो सकती है। हालांकि, बाकी कंपनियों की वैक्सीन को नियमन मंजूरी मिलने पर पर्याप्त संख्या में टीके उपलब्ध हो जाएंगे। ब्रिटेन ने इसी समस्या से निपटने के लिए दो-दो डोज का साइकल पूरा करने के बजाय ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को एक-एक डोज देने का फैसला किया। यूके अथॉरिटीज ने कहा कि कोवीशील्ड का दूसरा डोज अगर 12 हफ्ते बाद दिया जाए तो वह और ज्यादा असरदायी होता है। वहां किसी और वैक्सीन का पहला डोज दिए जाने का भी गाइडलाइंस जारी कर दिया गया है, हालांकि इस फैसले पर काफी विवाद छिड़ गया है।
फाइजर की वैक्सीन (Pfizer Vaccine) की तरह कोवैक्सीन को स्टोर करने के लिए बहुत ज्यादा ठंड की जरूरत तो नहीं है, लेकिन सामान्य फ्रीज की दरकार तो होगी ही। यानी, वैक्सीन स्टोरेज के लिए कोल्ड स्टोरेज की सुविधा चाहिए होगी। भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और एस्ट्राजेनेका की कोवीशील्ड को कम-से-कम एक हफ्ते तक रूम टेंपरेचर पर स्टोर करने की जरूरत है। लेकिन पता चला है कि देश के कुल 29 हजार कोल्ड चेन पॉइंट्स का 52 प्रतिशत और 40 प्रतिशत उपकरण सिर्फ छह राज्यों तक सीमित हैं। ये राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, गुजरात और आंध्र प्रदेश हैं। इन राज्यों में कुल 15,072 कोल्ड चेन पॉइंट्स हैं और यहां देश की देश की एक तिहाई आबादी रहती है। वैसे केंद्र सरकार ने कहा है कि अतिरिक्त कोल्ड चेन इक्विपमेंट की व्यवस्था की जा रही है।केंद्र सरकार ने पिछले महीने जारी वैक्सिनेशन गाइडलाइंस में कहा था कि सिर्फ पहले से पंजीकृत लाभुक ही कोविड वैक्सीन लगवाने के हकदार होंगे। गाइडलाइंस में साफ कहा गया है कि टीकाकरण केंद्रों पर रजिस्ट्रेशन की सुविधा नहीं होगी। प्री-रजिस्ट्रेशन के लिए संबंधित संस्थान अपने-अपने स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन स्टाफ डेटा अपलोड करेंगे, साथ ही चुनाव पहचान पत्र भी स्कैन कर अपलोड करना होगा ताकि बुजुर्गों की पहचान हो सके। खबरें आ रही हैं कि केंद्र सरकार संभवतः कैंप लगाकर रजिस्ट्रेशन का काम आासन कर सकती है। हालांकि, टेक्स्ट मेसेज और इलेक्ट्रॉनिक नोटिफिकेशंस की दरकार को कारण यह प्रक्रिया बाधित हो सकती है क्योंकि हर व्यक्ति के पास मोबाइल फोन और इंटरनेट कनेक्शन नहीं है। इस कारण यह दूसरा डोज देने तक लाभुकों पर नजर बनाए रखने की भी बड़ी चुनौती हो सकती है। ड्राइ रन में दूरदराज के इलाकों की अपनी-अपनी समस्याएं भी सामने आई थीं। वहां मोबाइल ऐप ठीक से काम नहीं कर रहा था। खुद से रजिस्ट्रेशन करने के लिए कोविन (Co-Win) ऐप अब तक जारी नहीं हुआ है, लेकिन कई फर्जी ऐप जरूर आ गए।वैज्ञानिक कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए टीका लगाने को सर्वोत्तम जरिया मानते हैं, लेकिन देश का एक बड़ा वर्ग टीके को संदेह की नजर से देखता है। सोशल मीडिया पर भी वैक्सीन को लेकर कई तरह की अफवाहें उड़ाई जा रही हैं। ऊपर से कुछ नेताओं की बेतुकी बयानबाजियां भी आग में घी डालने की काम कर रही हैं। वहीं, एक खास संप्रदाय के गिने-चुने धर्मगुरुओं ने टीके में शामिल तत्वों को लेकर संदेह जताया और अपने संप्रदाय के लोगों से टीका नहीं लगवाने की अपील की। कुछ लोगों को यह भी लगता है कि कोविड के खिलाफ टीकाकरण के बहाने जनसंख्या नियंत्रण की चाल न चल दी जाए। कई लोग वैक्सीन को कोरोना वायरस से भी ज्यादा घातक बता रहे हैं। कहा जा रहा है कि इसके भयानक साइड इफेक्ट सामने आ रहे हैं। यानी, भारत में लोगों को टीका लगवाने को राजी करना भी अपने-आप में बड़ी चुनौती है।

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।