65 की उम्र में डिग्री कोर्स पूरा करने के लिए परीक्षा देंगे उद्योगपति सुब्रत बागची

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माइंड ट्री के मालिक हैं बागची, दिल्ली विश्वविद्यालय दे रहा है पुराने विद्यार्थियों को मौका

नयी दिल्ली । लोग क्यों पढ़ाई करते हैं…बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेते हैं, जिससे एक अच्छी नौकरी मिल सके। अगर आप दिग्गज आईटी कंपनी के मालिक हों, तो किसी यूनिवर्सिटी से डिग्री लेने के बारे में सोचोगे? शायद नहीं। लेकिन माइंडट्री  के मालिक सुब्रत बागची ऐसा कर रहे हैं। वे दिल्ली विश्वविद्यालय से अपना डिग्री कोर्स पूरा करने के लिए परीक्षा में बैठेंगे। दरअसल इस तरह वे अपनी जवानी के सपने को पूरा करना चाहते हैं। बागची को डीयू में दाखिला लेने के बाद अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी थी। वे हमेशा डीयू के लॉ सेंटर में अपना डिग्री कोर्स पूरा नहीं कर पाने को लेकर चिंतित रहे। लेकिन अब उन्हें 65 साल की उम्र में जाकर अपने अधूरे सपने को पूरा करने का मौका मिल गया है।

नौकरी तलाशने के लिए छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई
उड़ीसा कौशल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और माइंडट्री के को-फाउंडर बागची इस समय 65 वर्ष के हैं। उन्होंने साल 1978 में डीयू में दाखिला लिया था। लेकिन उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़कर नौकरी की तलाश करनी पड़ी। अपनी डिग्री पूरी ना कर पाने को लेकर बागची हमेशा चिंतित रहे। लेकिन अब उन्हें अपनी डिग्री पूरी करने का मौका मिल गया है। दरअसल, डीयू अपने शताब्दी कार्यक्रम के हिस्से के रूप में अपने पुराने विद्यार्थियों को डिग्री पूरा करने का अवसर दे रहा है। बागची इस मौके का फायदा उठा रहे हैं और दशकों बाद अपने अधूरे सपने को पूरा करना चाहते हैं।

अधूरा रह गया छठां सेमेस्टर
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए बागची ने कहा, “मुझे डीयू के लॉ सेंटर में दाखिला मिला था, जो 1978 में मंदिर मार्ग पर हुआ करता था। उस समय भारतीय आईटी उद्योग नवजात स्थिति में था और मुझे नौकरी के लिए शहर बदलना पड़ा। पहले मैं कोलकाता गया, फिर बेंगलुरु गया और फिर अमेरिका में सिलिकॉन वैली गया। देखते ही देखते छह साल बीत चुके थे और मेरा छठा सेमेस्टर अधूरा रह गया था। मुझे परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया था। उसके बाद दशकों बीच गए, लेकिन में अपनी डिग्री पूरी नहीं कर पाया। यह कुछ ऐसा था, जैसे किसी ने मेरी मेहनत को कालकोठरी में डाल दिया हो और चाबियां फेंक दी हों। ”
हजारों लोग उठा रहे मौके का फायदा
बागची अकेले नहीं है, जो डिग्री कोर्स पूरा करने के इस मौके का लाभ उठा रहे हैं। अपने शताब्दी समारोह के एक हिस्से के रूप में, डीयू उन लोगों को अनुमति दे रहा है, जिन्होंने अपना कोर्सवर्क तो पूरा कर लिया , लेकिन डिग्री अधूरी रह गई। ऐसे लोग इस साल अक्टूबर और अगले साल मार्च में होने वाली “शताब्दी मौका” परीक्षाओं में शामिल होने सकते हैं। डीयू द्वारा उपलब्ध कराए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 8,500 से अधिक उम्मीदवारों ने परीक्षा के लिए आवेदन किया है। दिल्ली विश्वविद्यालय प्रत्येक उम्मीदवार की टाइमलाइन और उस समय प्रचलित पाठ्यक्रम के आधार पर पेपर तैयार करेगा।

मार्कशीट देखकर दुखता था बागची का दिल
एक सफल आईटी उद्यमी के रूप में इतने वर्षों के बाद उन्होंने अपनी कानून की डिग्री हासिल करने का फैसला क्यों किया, इस बारे में बागची ने टीओआई को बताया है। उन्होंने कहा, “मेरे जीवन और काम को देखते हुए, कोई यह नहीं सोचेगा कि मुझे डिग्री अधूरी होने का पछतावा होगा। यह काफी हद तक सच है। फिर भी, जब भी मैंने लॉ सेंटर में पूरे किए गए पांच सेमेस्टर की मार्कशीट देखी, तो मेरा दिल दुखा। मैं अपनी जवानी के अधूरे सपने को पूरा करना चाहता था। अब परीक्षा देकर में अपने जीवन के एकमात्र अधूरे काम को पूरा करना चाहता हूं। मुझे उम्मीद है कि मेरे जैसे हजारों लोग फिर से अपना अधूरा सपना पूरा करना चाहेंगे। डीयू द्वारा अपने पूर्व छात्रों को प्रदान किए जा रहे इस अनूठे अवसर पर बागची ने कहा, “यह कहना गलत नहीं होगा कि विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की पूरी भावना को जीवंत कर दिया है।”

(साभार – नवभारत टाइम्स)

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