85 प्रतिशत महिलाओं को नहीं मिली वेतन वृद्धि और पदोन्नति

देश में 37% महिलाओं को मिलता है पुरुषों से कम वेतन 

नयी दिल्ली : वैश्विक महामारी कोरोना से दुनियाभर के लोग जूझ रहे हैं। भारत की कामकाजी महिलाएं तो कोरोना के कारण अधिक दबाव महसूस कर रही हैं। यह निष्कर्ष ऑनलाइन पेशेवर नेटवर्क लिंक्डइन अपॉर्च्युनिटी-2021 के सर्वे से सामने आया है। सर्वे के मुताबिक कोरोना का विदेशों में काम कर रही महिलाओं की तुलना में देश की कामकाजी महिलाओं पर ज्यादा प्रभाव पड़ा है।
90% महिलाएं कोरोना के चलते दबाव में हैं। पूरे एशिया पेसिफिक देशों में महिलाओं को काम और सैलरी के लिए कड़ी लड़ाई लड़नी पड़ी है और कई जगह पर पक्षपात का सामना करना पड़ा। 22% महिलाओं का कहना है कि उन्हें पुरुषों की तुलना उतनी वरीयता नहीं दी जाती। 85% महिलाओं ने कहा कि 60% क्षेत्रीय औसत की तुलना में उन्हें सही समय पर प्रमोशन, वेतन बढ़ोतरी या वर्क ऑफर नहीं मिलता।
ये रिपोर्ट पुरुषों और महिलाओं के लिए उपलब्ध अवसरों की धारणा के अंतर को भी उजागर करती है। देश की 37% कामकाजी महिलाओं का कहना है कि उन्हें पुरुषों की तुलना में कम अवसर मिलते हैं, जबकि केवल 25% पुरुष ही इससे सहमत हैं। इन महिलाओं का कहना है कि उन्हें पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है।
सर्वे में महिलाओं के साथ पुरुषों ने भी माना कि वे नौकरी के तीन चीजों को जरूर देखते हैं- नौकरी की सुरक्षा, पसंद का काम और अच्छे काम के बीच जिंदगी में संतुलन। सर्वे 18 से 65 साल की उम्र के लोगों पर ऑनलाइन किया गया। इसमें ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान समेत 7 देशों के लोग शामिल हुए।
66% लोग बोले- माता-पिता के दौर के मुकाबले आज समानता बढ़ी
सर्वे में 66% लोगों ने माना कि उनके माता-पिता के दौर तुलना में लैंगिक समानता में सुधार हुआ है। सर्वे में कहा गया है कि घर से काम यानी वर्क फ्रॉम होम की वजह से कामकाजी माताओं की दिक्कतें बढ़ी हैं। अभी 10 में से 7 महिला (77 प्रतिशत) पूरे समय बच्चों की देखभाल कर रही हैं। वहीं, सिर्फ पांच में से एक यानी 20% पुरुष ही बच्चों की परवरिश में लगे हैं। लगभग दो-तिहाई कामकाजी महिलाएं पारिवारिक और घरेलू जिम्मेदारियों के कारण काम में भेदभाव का सामना कर रही हैं।
(साभार – दैनिक भास्कर)

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